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गया स्थित मगध यूनिवर्सिटी की लापरवाही से निकिता सिन्हा को BPSC 64वीं में मिली सफलता खतरे में पड़ गई है। उन्होंने मगध यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया था। इसका सर्टिफिकेट भी मिला। लेकिन उसमें हिंदी और अंग्रेजी के नाम में अक्षरों का अंतर था। इसे ठीक कराने के लिए वो पिछले नौ माह से यूनिवर्सिटी आ-जा थीं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। अब BPSC ने सफलता के बावजूद इनका रिजल्ट पेंडिंग में डाल दिया है। वजह सर्टिफिकेट में नामों का अंतर है।

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यूनिवर्सिटी के अधिकारियों ने कहा- हम क्या कर सकते हैं, केस लड़ो

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निकिता का कहना है कि उन्होंने यूनिवर्सिटी के अधिकारियों से यहां तक कहा कि यदि समय पर सर्टिफिकेट नहीं मिला तो BPSC की नौकरी चली जाएगी। इससे अच्छा है कि यूनिवर्सिटी, आयोग के अधिकारियों से बातचीत कर मेरी मदद करे। लेकिन उनपर कोई असर नहीं पड़ा। एक ने तो बड़ी बेशर्मी से कहा कि हम कर ही क्या सकते हैं। तुम्हें छांटने का आयोग को मौका मिला तो छांट दिया। अब केस लड़ो।

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प्रभारी रजिस्ट्रार बोले- VC के आते ही मिल जाएगा

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इस मामले में प्रभारी रजिस्ट्रार जितेंद्र कुमार का कहना है कि VC नहीं हैं। सर्टिफिकेट उनकी टेबल पर है। उनके आते ही साइन होकर छात्रा को मिल जाएगा। छात्रा यदि रात के 9- 10 बजे तक रुकती है तो उसे गुरुवार की रात में ही मिल जाएगा।

इस समस्या पर उनके बहाने एक से बढ़ कर एक हैं। रजिस्ट्रार का कहना है कि कोराना की वजह से यूनिवर्सिटी बंद थी। इस वजह से काम नहीं हो सका है। किसी अधिकारी ने उनसे कोई बदतमीजी से बात की तो वो लिख कर दें, इस पर कार्रवाई की जाएगी।

निकिता अकेली नहीं, 27 और ऐसे मामले

निकिता सरीखी 27 और भी छात्र-छात्राएं हैं, जिनका BPSC में चयन तो हो गया है लेकिन सर्टिफिकेट में तमाम गड़बड़ियां हैं। इन्हें अब तक दुरुस्त नहीं किया जा सका है। इस बात की जानकारी खुद रजिस्ट्रार ने दी है।

मेहनत व किस्मत ने दिया पर यूनिवर्सिटी ने छीन लिया

निकिता नालंदा जिले के खंदकपर की रहनेवाली हैं। उनका BPSC में रोल नंबर 442402 है। मगध यूनिवर्सिटी मुख्यालय आई तो अपना हाल बताते-बताते फफक पड़ी। कहती हैं कि पहले से ही हमने अपने मां-बाप को खो दिया। कड़ी मेहनत कर उठ कर खड़ी हुई तो यूनिर्वसिटी ने रही-सही कसर पूरी कर दी। अब कहां जाएं।

साभार – dainik bhaskar

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