यूं तो हम आये दिन पर्यावरण सुरक्षा को लेकर चिंता और बड़े-बड़े दावे करते हैं। लेकिन, पर्यवरण के लिए सबसे अहम कहे जाने वाले पेड़ों को रोपने या उन्हे बचाने के लिए कितने प्रयासरत हैं, इसे वैश्विक स्तर पर पेड़ों की कटाई को लेकर प्रस्तुत किये जाने वाले आंकड़े बखूबी बतला देते हैं। क्या आप जानते हैं दुनियाभर में करीब ड़ेढ़ लाख पेड़ रोज़ाना काट दिये जाते हैं और उन पेड़ों का स्थान कंकरीट की बड़ी-बड़ी इमारतें और सड़के ले लेती हैं।

इन परिस्थितियों में असम निवासी और साल 2015 में पद्मश्री से सम्मानित जादव पायेंग(Jadav Payeng) पर्यावरण के प्रति अपने उत्तरदायित्व को बेहद उम्दा तरीके से निभा रहे हैं। 16 वर्ष की आयु से ही जादव 2000 एकड़ में पेड़ लगाने के अपने लक्ष्य को साकार करने की दिशा में प्रयासरत हैं। सबसे प्रशंसनीय बात यह है कि उनके इस उद्देश्य व सफलता की कहानी को आज अमेरिका (America) के स्कूलों में भी पढ़ाया जा रहा है। इसी लक्ष्य के चलते जादव को ‘फॉरेस्ट मैन ऑफ इंडिया’ (Forest man of India) कहकर सम्मानित किया गया है।

Forest man of India - Jadav Payeng

2000 एकड़ में और पेड़ लगाने का लक्ष्य है जादव पायेंग का

असम के जोरहाट के कोकिलामुख गांव के रहने वाले जादव के पैरों में आपको चप्पल तक दिखाई देगी। वे बदन पर एक सूती बनियान और लुंगी में रहते हैं। आत्मविश्वास से भरे पायेंग, एक साधारण शख्स लेकिन असाधारण शख्सियत हैं। कहना गलत न होगा कि जादव पर्यावरण सुधार संबंधी विचार आना और फिर उसके लिए कुछ कर गुजरने का उदाहरण हैं। जादव कहते हैं कि – उनका ये काम अभी पूरा नहीं हुआ है। अभी तो उन्हें 2000 एकड़ में और पेड़ लगाने हैं। उनकी मेहनत की वजह से ही आज उनके जंगल में देश में पाए जाने वाले पक्षियों की 80 प्रतिशत प्रजातियां हैं।

Forest man of India - Jadav Payeng

अमेरिका में पहचान मिली है जादव के प्रयासों को

जादव को इसी साल फ्रांस में आयोजित हुई ‘ग्लोबल कॉन्फ्रेंस ऑफ सस्टेनेबल डेवलपमेंट’ की मीटिंग में भी सम्मानित किया गया था। अब जादव की इस कहानी को अमेरिका के छात्रों को पढ़ाया जाएगा। इतना ही नहीं जादव को उनके योगदान के लिए काजीरंगा विश्वविद्यालय और असम कृषि विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की उपाधि भी हासिल हुई है। जादव पर एक डॉक्युमेंट्री भी बनाई जा चुकी है, जिसे जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में प्रदर्शित किया जा चुका है।

Forest man of India - Jadav Payeng

पेड़ लगाने के अपने उद्देश्य के लिए कैसे प्रेरित हुए जादव

2015 में पद्मश्री से सम्मानित और दुनियाभर में ‘फॉरेस्टमैन ऑफ इंडिया’ के नाम से पहचाने जाने वाले जादव पायेंग के मुताबिक – साल 1979 में असम में जब भयकंर बाढ़ आई, तब पूरे इलाके में तबाही मच गई। पूरा क्षेत्र केवल मिट्टी और कीचड़ से भरा था। उस वक्त जादव 10वीं कक्षा में पढ़ रहे थे। बाढ़ के बाद जब वो ब्रहामपुत्र नदी के समीप स्थित द्वीप से होकर अपने घर जाया करते तो रास्ते में उन्हे ज़मीन पर मृत सांपों समेत कई वन्य जीवों की लाश दिखाई देती। यह सब विकराल स्थिति देखकर जादव ने तय कर लिया कि वो इस गीली मिट्टी को एक घने जंगल में तब्दील कर देंगें।

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