आजादी के 73 साल बाद क्या आधुनिक भारत की तस्वीर बदल पाई है? बक्सर के इस गांव को देखकर तो ऐसा नहीं लगता क्योंकि आजाद भारत के 73 साल बाद भी इस गांव को पक्की सड़क तक नसीब नहीं हो सकी है.
लिहाजा गांव वालों को कई परेशानियों से हर रोज दो चार होना पड़ता है,उससे भी दिलचस्प बात यह है कि आज भी इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है. पिछले दिनों इस गांव से एक वीडियो वायरल हुआ जिसके कारण यह गांव और ज्यादा सुर्खियों में आ गया है. वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि बारिश के कारण गलियों में कीचड़ लगा है.
गांव में सड़क नहीं है और लोग मजबूरी में दूल्हे राजा को कंधे पर ही बैठा कर चल रहे हैं. खुशी के माहौल में इस मजबूरी की पहले आप तस्वीर देखिए फिर आपको समझाते हैं कि यह पूरा माजरा क्या है?
दरअसल, आजाद और आत्मनिर्भर भारत के 73 साल बाद की यह वो तस्वीर है जिसमें आज तक कोई परिवर्तन नहीं हो सका है. यह गांव है बक्सर जिले के चोंगाई प्रखंड स्थित ‘नाचाप पंचायत का पुरैना गांव’.
पुरैना गांव के लोगों के लिए पक्की सड़क आज भी एक सपना है. इस सपने को पूरा करने के लिए स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने कई ख्वाब दिखाए लेकिन वह भी केवल वोट लेने के लिए.
आज तक इस मसले पर न तो किसी ने गंभीरता दिखाई और ना ही किसी ने इस दिशा में कोई पहल की. आलम यह है कि आज भी ग्रामीण अपनी तकदीर का रोना रो रहे हैं और अपनी मजबूरियों के बीच समय व्यतीत कर रहे हैं.
लंबे समय से सड़क के अभाव में पढ़ाई से वंचित गांव की बेटियों ने तो बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान को ही कटघरे में खड़ा कर दिया है. गांव की बेटियां बताती हैं कि इस नारे और अभियान का क्या मतलब जब हमें स्कूल ही नसीब नहीं है. गांव में सड़क के अभाव के कारण हम स्कूल तक नहीं जा पाते हैं.
इस गांव की महिलाओं का कहना है कि पक्की सड़क के अभाव में हमें इस गांव में घुट घुट कर जीवन बिताना पड़ रहा है. अगर किसी की तबीयत खराब हो जाए तो गांव से बाहर जाने के लिए सड़क नहीं है. ऐसे में मरीज की क्या हालत होगी और उनके परिजनों पर क्या गुजरती है इसका अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है. महिलाओं का दावा है कि इस गांव में शादी करने के बाद से उनकी किस्मत ही फूट गई है.
बीते दिनों गांव में दूल्हे राजा शादी करने के लिए गाजे बाजे और बारातियों के साथ धूमधाम से आए थे. लेकिन यहां बारिश होने के बाद गांव में हर तरफ कीचड़ हो गया. ऐसे में यहां दुपहिया वाहनों का भी आना जाना संभव नहीं था क्योंकि गांव में पक्की सड़क ही नहीं है. अब ऐसे में दूल्हे राजा के लिए कंधे का ही सहारा था.
input – zeenews