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हर तारीख का एक इतिहास है, बीते दिनों के पन्ने अपने भीतर हजारों कहानियां समेटे होते हैं. उन्हें जब आज की कसौटी पर परखा जाता है तो उसमें से उस कहानी के कई हिस्से, कई रंग निकलकर सामने आते हैं. ऐसी ही एक कहानी आज यानी की 5 जून की भी है.

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वैसे तो इस दिन दुनिया में कई बड़ी घटनाएं घटी हैं, लेकिन ये दिन इसलिए भी खास है क्योंकि इसी दिन साल 1972 में पैदा हुए थे योगी आदित्यनाथ. वही योगी आदित्यनाथ जो मौजूदा वक्त में देश के सबसे बड़े सूबे के सीएम हैं. आज योगी आदित्यनाथ अपना 49वां जन्मदिन (CM Yogi Adityanath Birth Day) मना रहे हैं, लेकिन जिंदगी के 48 बसंत जी चुके योगी के इस सफर के कई किस्से आज भी चर्चा में रहते हैं.

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योगी की शख्सियत पर बारीकी से नजर डालें तो योगी कई रंग में नजर आते हैं. कभी एक संन्यासी के रूप में तो कभी एक छात्र नेता के रूप में. कभी गांधीगीरी करते योगी तो कभी अपने तल्ख तेवर वाले योगी. कभी इमोशनल होते योगी तो कभी सियासत में बड़ा उलटफेर कर राजनीतिक पंडितों को हैरान करने वाले योगी (CM Yogi Adityanath). आइए उनके जन्मदिन पर जानते हैं उनके बारे में कुछ दिलचस्प वाकये-

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एक झगड़ा जिससे राजनीति में हुई ‘एंग्री यंग मैन’ की एंट्री 
बात कई साल पुरानी है. गोरखपुर में एक इंटर कॉलेज के कुछ छात्र एक दुकान पर कपड़ा खरीदने आए और उनका दुकानदार से विवाद हो गया. दुकानदार पर हमला हुआ, तो उसने रिवॉल्वर निकाल ली. दो दिन बाद दुकानदार के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग को लेकर एक युवा योगी की अगुवाई में छात्रों ने उग्र प्रदर्शन किया और वे एसएसपी आवास की दीवार पर भी चढ़ गए.

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यह योगी आदित्यनाथ थे, जिन्होंने कुछ समय पहले ही 15 फरवरी 1994 को नाथ संप्रदाय के सबसे प्रमुख मठ गोरखनाथ मंदिर के उत्तराधिकारी के रूप में अपने गुरु महंत अवैद्यनाथ से दीक्षा ली थी. बस यहीं से गोरखपुर की राजनीति में एक ‘एंग्री यंग मैन’ की यह धमाकेदार एंट्री थी.

जुड़ते गए लोग बढ़ता गया रुतबा
यह वही दौर था, जब गोरखपुर की राजनीति पर दो बाहुबली नेताओं हरिशंकर तिवारी और वीरेंद्र प्रताप शाही की पकड़ कमज़ोर हो रही थी. इसी बीच युवाओं को इस ‘एंग्री यंग मैन’ में हिंदू महासभा के अध्यक्ष रहे महंत दिग्विजयनाथ की ‘छवि’ दिखी और वो उनके साथ जुड़ते गए.

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उनकी इस बढ़ती लोकप्रियता के बीच गोरखनाथ मंदिर के महंत की गद्दी का उत्तराधिकारी बनाने के चार साल बाद ही महंत अवैद्यनाथ ने योगी को अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी भी बना दिया. जिस गोरखपुर से महंत अवैद्यनाथ चार बार सांसद रहे, उसी सीट से योगी (CM Yogi Adityanath) 1998 में 26 वर्ष की उम्र में लोकसभा पहुंच गए.

जमीनी पकड़ ने बनाया और मजबूत
कम उम्र में ही योगी (CM Yogi Adityanath) ने गोरखपुर से दिल्ली का रास्ता भले ही पा लिया था, लेकिन राजनीति में वो समय के साथ-साथ और मजबूत होते गए. योगी के बारे में अक्सर ये कहा जाता है कि गोरखपुर में उनके मजबूत बने रहने में सबसे बड़ा कारण था उनकी जमीन पर मजबूत पकड़ बनाए रखना. योगी जनता के बीच में रहते और उनकी बातें सुनते.

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अपने इसी अंदाज से वो धीरे-धीरे गोरखपुर ही नहीं बल्कि पूर्वांचल में भी मजबूत होते गए. उनकी हिंदू युवा वाहिनी के चलते युवाओं में उनकी लोकप्रियता खूब बढ़ी. लेकिन इस लोकप्रियता के साथ-साथ कई बार योगी पर तरह-तरह के आरोप भी लगते रहे हैं.

सीएम बनकर सबको चौंकाया था
2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने योगी (CM Yogi Adityanath) को चेहरा बनाकर चुनाव नहीं लड़ा था. यहां तक पार्टी के बहुमत के बाद भी जब सीएम के नाम की चर्चा होती थी तब भी योगी का नाम स्पष्ट तौर पर सामने नहीं आता था. मनोज सिन्हा, केशव प्रसाद जैसे नेता सीएम की रेस में आगे थे.

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लेकिन कुर्सी पर काबिज योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) हुए. उनके सीएम बनने को लेकर सियासी गलियारे में कई कयास हैं, लेकिन सफलता राजनीति की परिभाषा को बदल देती है. इसलिए योगी ने सीएम बनकर अपना लोहा मनवा लिया.

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