आईएएस बनना सबसे कठिन परिश्रम की पढ़ाई का प्रतिफल है। लेकिन अगर आप देश की सेवा करने के इच्छुक हैं तो यह आपका जुनून बन जाता है। ऐसा ही एक जुनूनी कहानी है आईएएस अनुकृति शर्मा की। मेरा दावा है कि आप उनकी प्रेरक यात्रा सुनकर इमोशनल हो जायेंगे।
अनुकृति शर्मा ने 2007 में IIT JEE की परीक्षा पास की और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च, कोलकाता में प्रवेश लिया। आईआईटी करने के बाद अनुकृति शर्मा अमेरिका के राइस यूनिवर्सिटी चली गईं।
अनुकृति ने एक इंटरव्यू में बताया- जब मैं कॉलेज में थी, तो सिविल सेवा में जाने के लिये पूरी तरह से तैयार थी। लेकिन साइंस बैकग्राउंड की वजह से मेरी टीचर ने सिविल सर्विस में जाने से मना किया और कहा कि ये सारे काम वो साइंटिस्ट बनकर कर सकती हैं, इसलिये उन्हें अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिये। लेकिन फिर भी जब वह अमेरिका से लौटीं तो कुछ समय बाद अपने सपने को पूरा करने के लिये प्रयास करने लगीं।
अनुकृति शर्मा सिविल सेवा के अपने पहले प्रयास में मेन्स में पहुंचीं लेकिन क्लियर नहीं कर सकीं। उसके बाद वह दूसरे प्रयास में प्रीलिम्स का पेपर भी पास नहीं कर पाईं लेकिन उन्होंने अपना प्रयास जारी रखा। जब उन्होंने अपना तीसरा प्रयास दिया, तो वह साक्षात्कार में पहुंची और चौथे प्रयास में वह अंततः इस परीक्षा को पास करने के अपने प्रयास में सफल रहीं। 2017 में उन्हें 355 वां रैंक आया और भारतीय राजस्व सेवा मिला। उन्होंने 2019 अपने अंतिम प्रयास में उनकी रैंक 138 रही और आईएएस बन ही गईं।
उनका वैकल्पिक विषय भूगोल था। वे बताती हैं- मेरे पति मेरी पूरी यात्रा के दौरान मेरी गुरु की भूमिका में थे। उन्होंने मेरे सपनों को हासिल करने में मदद की। उन्होंने मेरी रणनीति और अंकों को बेहतर बनाने में मदद की। मेरे पति सबसे अच्छे दोस्त की तरह थे और तैयारी के दौरान मुझे लगातार प्रेरित करते रहे। मैं उन्हें अपनी सफलता का जितना भी श्रेय दूं वो कम है।