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कोरोना की दूसरी लहर ने सैंकड़ों लोगों को मौत की नींद सुला दिया हो लेकिन कुशल टीम, जीने की चाह और समय पर मिले उपचार व हौसलों से कई लोगों को नवजीवन भी मिला है। शहर के निजी अस्पताल में ऐसा ही एक मामला देखने को मिला।

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यहां एक 27 साल की महिला ने 32 दिन में कोरोना को मात दी है। रूपाली श्रीवास्वत का ऑक्सीजन सैचुरेशन मात्र 30 रह गया था, HRCT जांच में सीटी स्कोर 21/25 था। गम्भीर स्थिति में डॉक्टर ने उसे 28 दिन वेंटिलेटर पर रखा, ऑक्सीजन लेवल ठीक होने के 32 वें दिन अस्पताल से डिस्चार्ज किया गया। रूपाली 32 दिन तक अपने 18 माह के बच्चे से दूर रही।

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श्वास रोग विशेषज्ञ डॉ. केवल कृष्ण डंग ने बताया कि रूपाली श्रीवास्तव (27) का 21 अप्रैल को कोरोना पॉजिटिव हुई हुई थी। उसका सेचुरेशन लेवल लगातार गिर रहा था। सांस लेने में तकलीफ होने पर 26 अप्रैल को उसे हॉस्पिलटल में भर्ती कराया गया। प्रोटोकाल के अनुसार उसे प्लाज्मा चढ़ाया गया लेकिन प्लाज्मा ने काम नहीं किया। हालात नाजुक होने से उसे वेंटीलेटर पर लिया गया। उसके बाद प्रोटोकॉल के अनुसार नियमित दवाएं व कैंसर में काम आने वाली दवाएं दी गईं।

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उसके बाद धीरे-धीर सुधार होने लगा और सैचुरेशन 67 से 72 के बीच पहुंच गया। मरीज की स्थिति में सुधार होने पर 24 घंटे उस पर निगरानी रखी गई। कुशल टीम की देखरेख में रूपाली का ऑक्सीजन लेवल बढ़ता चला गया, उसे लगातार पॉजिटिव सोच के साथ खुशनुमा माहौल दिया गया। 25 दिन बाद उसका ऑक्सीजन लेबल 88 तक पहुंच गया और जब डिस्चार्ज किया गया तब उसका ऑक्सीजन सैचुरेशन 93 तक पहुंच गया।

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ये वो दौर था जब शहर में हालात खराब थे। अस्पतालों में बेड खाली नहीं थे,ऑक्सीजन व दवाओं की किल्लत थी। रूपाली ने बताया कि जिस समय आई थी, कुछ याद नहीं था, हालात बेहद खराब थी, लेकिन हॉस्पिटल की टीम की बदौलत कोविड से जंग जीती है।

साभार – dainik bhaskar

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