कोविड-19 की दूसरी लहर के कारण बाजार में अस्थिरता को देखते हुए किसान मायूस हैं। जैसे-तैसे तैयार हो रही आम एवं लीची की फसल कैसे बिकेगी, इसकी चिंता किसानों को सताने लगी है। आम के बगीचे तक पहुंचने वाले व्यापारी आम एवं लीची की कीमत बहुत कम लगा रहे हैं। ऐसी स्थिति में पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष भी आम एवं लीची का कारोबार प्रभावित होने की आशंका बढ़ गई है। हरपुर के महेश दुबे, परशुराम यादव, डोमू पासवान, सढवाड़ा के राजेश चौधरी आदि किसानों ने बताया कि बार-बार आ रही आंधी व ओलावृष्टि के कारण आम एवं लीची की फसल को भारी क्षति हुई है।
इतने के बावजूद पेड़ पर जो फल बच गए हैं उन्हें बाजार तक पहुंचाना चुनौतीपूर्ण कार्य हो गया है। आम के कारोबार से जुड़े जगदीश शाह, मो. नूरुल, बिंदेश्वर यादव, महेश महतो आदि ने बताया कि बार-बार बढ़ रहे लॉकडाउन की मियाद को देखते हुए बाजार अस्तव्यस्त चल रहा है। ऐसी स्थिति में अगर आम एवं लीची के फल को जैसे-तैसे पेड़ से तोड़कर बाजार तक पहुंचाया भी जाता है तो वहां ग्राहकों की कमी के कारण इसकी बिक्री हो पाना कठिन हो जाएगा।
ऐसी स्थिति में कारोबार प्रभावित होने की आशंका बनी हुई है। किसानों ने बताया कि स्थानीय हाट एवं बाजारों में सुबह 12 बजे तक आम एवं लीची की बिक्री बड़े पैमाने पर हो पाना कठिन है। एक गांव से दूसरे गांव आने-जाने में पाबंदी के कारण भी आम की बिक्री प्रभावित रहेगी।