blank 10 14

कोरोना हो या कैंसर, दोनों इंसान को अंदर-बाहर से तोड़ देते हैं। इन दोनों ही बीमारियों से लड़ने के लिए इंसान को इलाज के साथ हिम्मत, इच्छाशक्ति व अपनों के साथ की जरूरत होती है। अब जरा सोचिए कि जब ये दोनों किसी पर एक साथ और बार-बार हमला करें तो उसका क्या हाल होगा। बेगमपुर निवासी नितिशा यादव (39) एक साल से इन दोनों बीमारियों से लड़ रही हैं और बखूबी जीत रही हैं।

Also read: बिहार को वंदे भारत ट्रेन की सौगात, इन जिलों में चलेगी यह ट्रेन

पहले कोरोना, फिर कैंसर, सर्जरी, कीमोथेरेपी, रेडिएशन थेरेपी और फिर से कोरोना। इस सबने शरीर को जितना कमजोर किया, मन उतना ही मजबूत होता गया। चट्टान से हौसले और जीने की उमंग की बदौलत नितिशा ने कोरोना की लहरों और कैंसर के तूफान को चीरकर बार-बार जिंदगी जीती।

Also read: बिहार के लिए चलेगी दर्जनों स्पेशल ट्रेन, जाने रुट के साथ किराया

कोरोना महामारी के इस मुश्किल दौर में नितिशा की जिजीविषा भरी कहानी लोगों के लिए उम्मीद की इम्यूनिटी साबित हो सकती है। बीमारियों से लड़ते हुए बीता सालनितिशा बेगमपुर स्थित इंद्रप्रस्थ स्कूल में प्रिंसिपल हैं।

Also read: मुजफ्फरपर, सहरसा, भागलपुर से दिल्ली के लिए चलेगी ट्रेन, देखें टाइमिंग के साथ किराया

पिछले साल जुलाई में वे कोरोना संक्रमित हुई थीं। तब कोरोना का नाम सुनते ही लोग डर व निराशा से सिहर उठते थे। उन्होंने होम आइसोलेशन में रहकर इलाज करवाया और एक माह में कोरोना को मात दी। अभी वे कोरोना के दुष्प्रभावों से उबर भी नहीं पाई थीं कि अगस्त में उन्हें ब्रेस्ट कैंसर होने का पता चला। यह सेकेंड स्टेज का कैंसर था। घर वाले बुरी तरह से परेशान हो गए। वह ऐसा दौर था जब अस्पताल जाने में लोगों के हाथ पैर कांपते थे। सितंबर में सर्जरी करवाई। अक्टूबर 2020 से फरवरी 2021 के बीच आठ कीमोथेरेपी हुई। मार्च से अप्रैल तक रेडिएशन थेरेपी।

Also read: मुजफ्फरपर, सहरसा, भागलपुर, और गया से दिल्ली के लिए ट्रेन, जाने टाइमिंग व किराया

इसके लिए एक माह तक रोजाना राजीव गांधी कैंसर अस्पताल जाना पड़ा। इस दौरान गले की फूड पाइप में सूजन आई हुई थी, जिससे खाने-पीने में बहुत तकलीफ होती थी। कीमोथेरेपी और रेडिएशन थेरेपी के दौरान होने वाली तकलीफों, हेयर लास और जलन को सहना मौत से जंग लड़ने जैसा था। इस कमजोरी से उबरने से पहले ही 20 अप्रैल 21 को उन्हें फिर से कोरोना ने जकड़ लिया।

अपनों के सहारे इस लहर से भी जीतकर निकलीं नितिशा ने बताया कि इतनी मुश्किलों के बीच एक बार फिर से कोरोना होना बहुत बड़ा झटका था।  इतना झेलने के बाद अपनी चिंता तो रही नहीं थी, लेकिन घर-परिवार के बारे में सोचकर हिम्मत डगमगाने लगती थी। होम आइसोलेशन में इलाज कराया और एक बार फिर से कोरोना पर जीत हासिल की। अभी कैंसर की हार्मोनल थेरेपी चल रही है, जिसमें तमाम दवाएं दी जाती हैं। नितिशा संयुक्त परिवार में रहती हैं।

कोरोना प्रोटोकाल का ध्यान रखते हुए बिजनेसमैन पति संदीप यादव, तीनों बच्चों व पारिवारिक मित्र डा. सुनील यादव ने हर कदम पर उनका ध्यान रखा और उम्मीद दिलाते रहे कि जीत इस बार भी उन्हीं की होगी। अपने सकारात्मक सोच और अपनों के सहारे अब नितिशा फिर से स्वस्थ हो रही हैं। उन्हें उम्मीद है कि जल्द ही कोरोना खत्म होगा और वे स्कूल जाकर बच्चों को पढ़ा सकेंगी।

साभार – dainikjagran

Raushan Kumar is known for his fearless and bold journalism. Along with this, Raushan Kumar is also the Editor in Chief of apanabihar.com. Who has been contributing in the field of journalism for almost 4 years.