हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर की क्या हाल है और तमाम सरकारी दावें किसी तरह जमीनी हकीकत रखते हैं उसकी सच्चाई ये तस्वीर बयां कर रही है. इस तस्वीर को देखकर हम जितना दुखी हो रहे हैं और कह नहीं सकते हैं कि उस ई-रिक्शा पर बैठी महिला किस तरह की स्थिति का सामना कर रही होगी.

तस्वीर वाराणसी की है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र की. उसी क्षेत्र की जहां रविवार को ही प्रधानमंत्री ने स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर एक समीक्षा बैठक की थी. इसके बाद तमाम दावे किए गए, लेकिन अगले दिन ही ये खोखले साबित हुए. शायद जिम्मेदार लोगों ने प्रधानमंत्री की भी नहीं सुनी.

रिपोर्ट के मुताबिक़, जौनपुर के मडियाहूं निवासी विनय सिंह का भतीजा मुंबई में काम करता था. दिसंबर में एक शादी में शामिल होने के लिए वह गांव आया था. इस दौरान उसकी तबीयत खराब हो गई. जौनपुर के एक डॉक्टर ने किडनी में दिक्कत बताई.

वह दिसंबर से लगातार 5 बार इलाज के लिए बीएचयू अस्पताल आ चुका था. लेकिन, किसी डॉक्टर ने नहीं देखा. सोमवार को ज्यादा तबीयत खराब हुई तो मां चंद्रकला इलाज के लिए वाराणसी लेकर आई.

बीएचयू में डॉक्टरों ने कोरोना की वजह से नहीं देखा. इसके बाद वह ककरमत्ता के एक प्राइवेट अस्पताल पहुंची. वहां भी उसे भर्ती नहीं किया गया. वह दिन भर ई-रिक्शा से वाराणसी के अस्पतालों का चक्कर काटती रहीं. लेकिन, इलाज नहीं मिला. 

अंत में लड़के ने ई-रिक्शा पर ही मां की चरणों में दम तोड़ दिया. युवक 4 भाई और एक बहन में तीसरे नंबर का था. मां का रो-रोकर बुरा हाल था और वह किसी तरह खुद को संभाल रही थी.

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