भारतीय समाज में शुरू से ही ट्रांसजेंडर के लिए अपने मन में लोग एक अलग तरह की भावना रखते हैं. ट्रांसजेंडरो के लिए मन में गलत भावना रखने वाले लोगों को सबक सिखाते हुए सरकार ने भेदभाव को खत्म करने के लिए ट्रांसजेंडर को समान अधिकार दिया है।

ट्रांसजेंडर शब्द आम तौर पर क्रॉस-ड्रेसर को शामिल करने के लिए भी परिभाषित किया जाता है। भारतीय संस्कृति और न्यायपालिका तीसरे लिंग को मान्यता देती है। इन्हें हिजड़ा भी कहा जाता है।

भारत में 15 अप्रैल 2014 को सुप्रीम कोर्ट ने एक तीसरे लिंग को मान्यता दी, जो न तो पुरुष है और न ही महिला, यह कहते हुए कि “तीसरे लिंग के रूप में ट्रांसजेंडर्स की मान्यता एक सामाजिक या चिकित्सा मुद्दा नहीं है, बल्कि एक मानवाधिकार मुद्दा है।” आज हम बात करेंगे भारत की प्रथम टांसजेंडर जज बनी “जोइता मंडल” की, जो टांसजेंडर समुदाय के लिए प्रेरणा बनीं है।

Joyita Mondal first transgender judge



‌आज भी हमारे समाज में ट्रांसजेंडर को वह इज्जत नहीं मिलती जिनके वह हकदार हैं। लेकिन जोइता मंडल उन लोगों के लिए एक बड़ा उदाहरण बनकर सामने आई हैं, जो ट्रांसजेंडर को आम लोगों से अलग मानते हैं। 29 साल की जोइता मंडल देश की पहली ट्रांसजेंडर जज बनीं हैं। उन्हें इस साल 8 जुलाई, 2017 को पश्चिम बंगालके इस्लामपुर की लोक अदालत में जज नियुक्त किया गया है।

जोइता मंडल को बचपन से ही काफी भेदभाव का सामना करना पड़ा। घरवाले उनकी हरकतों से परेशान होकर उन्हें डांटते थे। स्कूल में उनपर फब्तियां कसी जाती थीं। मजबूरन उन्हें पहले स्कूल छोड़ना पड़ा, फिर 2009 में उन्होंने अपना घर छोड़ दिया।‌ जब नौकरी के लिए कॉल सेंटर ज्वाइन किया। वहां भी उनका मजाक बनाया जाने लगा। कई बार भीख मांगकर गुजारा करना पड़ा।

कहीं पर कोई किराये पर कमरा देने के लिए तैयार नहीं होता था। ऐसे में उन्हें कई बार खुले आसमान के नीचे रात गुजारनी पड़ी।‌ बाद में जोइता एक सामाजिक संस्था से जुड़ गईं और सोशल वर्क को अपने जीवन का आधार बना लिया। 2010 से वह सोशल वर्कर के रूप में काम कर रही हैं।

Joyita Mondal first transgender judge



‌जानकारी के लिए बताना चाहूँगी कि, सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में ट्रांसजेंडर (थर्ड जेंडर) को सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़ा माना था। इसलिए थर्ड जेंडर को शिक्षा और नौकरी दोनों में आरक्षण दिया गया है। जोइता का मकसद अपने समाज के लोगों को शिक्षा के प्रति जागरूक करना है ताकि शिक्षित और आत्मनिर्भर होकर वे भी इज्जत की जिंदगी बिता सकें।

Raushan Kumar is known for his fearless and bold journalism. Along with this, Raushan Kumar is also the Editor in Chief of apanabihar.com. Who has been contributing in the field of journalism for almost 5 years.