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कोई यात्री बिना वजह चलती हुई ट्रेन में चेन पुलिंग (Chain Pulling) कर दे. ट्रेन के नीचे पशु आने पर ट्रेन (Train) रुक जाए. प्रदर्शनकारी कहीं पर दो-चार ट्रेन रोक दें या चक्का जाम कर दें

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इस तरह की घटनाएं होने या बिना किसी वजह के चलती ट्रेन को रोकने पर एक मिनट में हज़ारों रुपये का नुकसान होता है. जब भी ट्रेन रुकती है तो बिजली या डीजल (Diesel) का खर्च बढ़ जाता है

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पैसेंजर और गुड्स ट्रेन के रुकने से नुकसान का रेट अलग-अलग है. लेट होने पर कुछ खास ट्रेन के मामले में तो रेलवे यात्रियों को भी भुगतान करता है

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गौरतलब है कि 18 फरवरी को तीन कृषि कानूनों के विरोध किसानों ने देशभर में ट्रेनों का चक्का जाम करने का दावा किया है. किसानों के मुताबिक चक्का जाम का सबसे ज़्यादा असर नॉर्थन रेलवे ज़ोन में रहा है

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वहीं रेलवे अधिकारियों का दावा है कि किसानों के प्रदर्शन का कोई खास असर नहीं रहा. रेलवे ने पहले से ही कई तरह के उपाय कर लिए थे

एक मिनट ट्रेन रुकने पर ऐसे होता है नुकसान

आरटीआई में मिली एक जानकारी के मुताबिक अगर डीजल से चलने वाली पैसेंजर ट्रेन एक मिनट रुकती है तो उसे 20401 रुपये का नुकसान होता है

वहीं इलेक्ट्रिक ट्रेन को 20459 रुपये का नुकसान होता है. इसी तरह डीजल से चलने वाली गुड्स ट्रेन को एक मिनट रुकने पर 13334 रुपये और इलेक्ट्रिक ट्रेन को 13392 रुपये का नुकसान होता है

यह वो नुकसान है जो सीधे तौर पर रेलवे को होता है. अब ट्रेन में बैठे यात्रियों को कितना नुकसान उठाना पड़ता होगा इसका अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है


अधिकारियों के मुताबिक डीजल और बिजली खर्च के साथ कर्मचारियों का ओवरटाइम समेत और भी कई कारण होते हैं. ट्रेन को दोबारा से स्पीड में लाने के लिए डीजल या बिजली की ज़्यादा खपत होती है

कम से कम तीन मिनट में ट्रेन दोबारा से रफ्तार पकड़ पाती है

Raushan Kumar is known for his fearless and bold journalism. Along with this, Raushan Kumar is also the Editor in Chief of apanabihar.com. Who has been contributing in the field of journalism for almost 4 years.