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2019 से पहले सकरा प्रखंड की सात पंचायतें बूंद-बूंद को तरस जाती थीं। घर में लोगों को जितना राशन की चिंता नहीं होती, उससे ज्यादा फिक्र पानी की रहती थी। गर्मी में पानी का लेवल काफी नीचे चला जाता था। 100 फुट गहरे पाइप वाले चापाकल भी पानी देना बंद कर देते थे। बता दे की अभी 60 फुट पर पानी निकल रहा है। यह संभव हुआ है जल संरक्षण के लिए सोख्ता और तालाब निर्माण से। पूर्व प्रमुख अनिल राम की पहल पर मनरेगा और लघु सिंचाई विभाग के सहयोग से यह आसान हो गया। नए साल में इस योजना को और विस्तार मिलेगा। 

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35 सोख्तों का हो चुका निर्माण : आपको बता दे की प्रखंड के पूर्वी इलाके में बसीं सात पंचायतें मझौलिया, चंदनपट्टी, मिश्रौलिया, डिहुली इश्हाक, दुबहा बुजुर्ग, हरलोचनपुर और केशोपुर की करीब 50 हजार की आबादी के लिए गर्मी का मौसम कष्टकारी होता था। पूर्व प्रमुख ने जल संरक्षण के प्रति ग्रामीणों को जागरूक करने के साथ जगह-जगह सोख्ता निर्माण की पहल की। इन दो वर्षों में मनरेगा से 35 सोख्ते तैयार हो गए। एक सोख्ता बनवाने पर नौ हजार रुपये खर्च किए गए।

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बताया जा रहा है की इन पंचायतों में बर्बाद हो जाने वाला जल जमीन के अंदर जाने लगा। अनिल बताते हैं कि पंचायतों में प्रत्येक चापाकल के बगल में सोख्ता निर्माण की व्यवस्था कराई गई है, इस पर काम चल रहा है। डिहुली इश्हाक पंचायत की मुखिया सुनैना देवी बताती हैं कि इस वर्ष सरकार कीेगाइडलाइन के मुताबिक करीब एक हजार घरों में सोख्ता का निर्माण कराया जाएगा।

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87 लाख खर्च कर दो तालाबों का निर्माण : जानकारी के अनुसार जलसंकट दूर करने के लिए लघु सिंचाई विभाग द्वारा 87 लाख खर्च कर दो तालाबों का निर्माण कराया गया है। इनमें डिहुली इश्हाक पंचायत के गोवाइत गांव में डेढ़ एकड़ जमीन में 38 लाख और डिहुली में तीन एकड़ जमीन में 49 लाख खर्च कर तालाब का निर्माण कराया गया है। बता दे की मवेशियों को पानी की दिक्कत न हो, इसके लिए गोवाइत तालाब के पास चार लाख की लागत से सोलर पंप भी लगाया गया है। इसमें बारिश का पानी संचय होता है। गर्मी में तालाब सूखने पर पंप चलाकर भरा जाता है।

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