apanabihar 8 14

मिल्क सिथल एक औषधीय पौधा है. हालांकि इसका दूध से कोई लेना देना नहीं है. इस पौधे की खेती भारत में धीरे-धीरे लोकप्रिय हो रही है. हालांकि अभी भी यह आम किसानों तक नहीं पहुंच पाया है, लेकिन इसके लिए कोशिश जारी है. किसी तरह की मिट्टी पर किसान इसकी खेती कर सकते हैं और कम लागत में अधिक मुनाफा होता है. सबसे खास बात है कि इसकी खेती में बहुत ज्यादा पानी की आवश्यकता नहीं होती है.

Also read: मुजफ्फरपुर से आनंद विहार के लिए चलेगी दो जोड़ी ट्रेन, जाने रुट

यह बहुत ही गुणकारी औषधि है और 6 माह में तैयार हो जाता है. अप्रैल माह में इसके बीजों की बुवाई की जाती है. मिल्क थिसल एक झाड़ीनुमा पौधा है और इसकी लंबाई करीब 3 फीट तक होती है. इस पौधे में फूल लगते हैं और फूल के अंदर तैयार होने वाले बीज का इस्तेमाल दवा बनाने में किया जाता है. इसके पत्ते प्रयोग भी आयुर्वेदिक दवा बनाने में होता है.

Also read: सोने-चांदी के भाव में बदलाव, जाने आपके यहां क्या है रेट

सावधानी से करनी चाहिए बुवाई

मिल्क थिसल की खेती में पानी की ज्यादा जरूरत नहीं होती. मिल्क थिसल की खेती को आम किसानों तक पहुंचाने के लिए पिछले दशक से ही कोशिश जारी है. मेरी हर्बल गाइड में इस औषधीय पौधे को उगाने का ट्रायल पूरी तरह से सफल रहा है. मिल्क थिसल अभी भी भारतीय किसानों के लिए नई फसल है. हालांकि इसकी जानकारी किसानों तक पहुंचाने के लिए लगातार प्रयास हो रहे हैं.

Also read: Gold Silver Price Today: सोने के भाव में गिरावट, चांदी की बढ़ी कीमत

मिल्क थिसल के फूल और बीज को लिवर व पित्त नली के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है. इसके अलावा भी यह कई तरह के स्वास्थ्य लाभ के लिए फायदेमंद है.

Also read: बिहार, जसीडीह के रास्ते चलेगी स्पेशल ट्रेन, जाने किराया व रुट

मिल्क थिसल की बीज की बुवाई जरा सावधानी से करनी चाहिए. दोमट मिट्टी मिल्क थिसल पौधे की खेती के लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है. देश की लगभग आधी कृषि जलोढ़ मिट्टी पर होती है. जलोढ़ मिट्टी, वो मिट्टी होती है, जिसे नदियां बहाकर लाती हैं. इस मिट्टी में नाइट्रोजन और पोटाश की मात्रा कम होती है. लेकिन अच्छी बात यह है कि मिल्क थिसल जलोढ़ मिट्टी में भी उगाई जा सकती है.

बढ़ रही लोकप्रियता, सरकार करती है एक्सपोर्ट

मिल्क थिसल को काली मिट्टी और लाल मिट्टी में भी उगाया जा सकता है. लेकिन इस बात का ध्यान रखना होता है कि खेत में जल निकासी की पर्याप्त सुविधा हो. बुवाई से पहले खेत की दोहरी जुताई जरूरी होती है. फिर पाटा चलाकर खेत को समतल कर दिया जाता है. खेत को खर-पतवार से मुक्त रखना आवश्यक है.

तैयार खेत में मिल्क थिसल के बीच को करीब आधा इंच गहराई में बोना चाहिए. बुवाई से पहले अंकुरण के लिए मिट्टी के साथ खाद संतुलित मात्रा में अच्छी तरह से मिला देना चाहिए. तीन से चार बीजों के समूह में मिल्क थिसल के बीजों का रोपण करना चाहिए. बुवाई के बाद फव्वारे के माध्यम से पानी का छिड़काव ठीक रहता है.

Raushan Kumar is known for his fearless and bold journalism. Along with this, Raushan Kumar is also the Editor in Chief of apanabihar.com. Who has been contributing in the field of journalism for almost 4 years.