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आप जब अपने यहां बाजार से सेब लाते हैं तो क्या गौर करते हैं ये सेब आखिर कहां से आए हैं? जाहिर है कि ये सेब या तो हिमाचल प्रदेश के होंगे, या उत्तराखंड के होंगे या जम्मू कश्मीर के होंगे… या फिर ऐसी ही पहाड़ी प्रदेशों के होंगे. सेब की खेती के बारे में भी जब जिक्र होता है तो जाहिर है कि ऐसे ही ठंडे प्रदेशों का नाम आता है. कारण?

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कारण स्पष्ट है कि सेब ठंडे प्रदेशों का ही फल है. इसका उत्पादन ठंडे प्रदेशों में ही होता है. सेब और इसके पेड़ इन्हीं प्रदेशों के अनुकूल है. लेकिन कल को अगल आप सेब खरीदने बाजार जाएं और उसकी पेटी या कॉर्टन पर बिहार लिखा हो तो चौंकिएगा मत! क्योंकि बिहार में भी सेब की खेती होने लगी है. यहां लगाए गए सेब के पेड़ों में फल भी आने लगे हैं. बिहार के भागलपुर, बेगूसराय और कुछेक अन्य जिलों में सेब के पेड़ लगाए गए हैं.

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इस किसान ने शुरू की सेब की खेती

गोपाल सिंह एक प्रगति​शील किसान हैं. वे लॉ ग्रेजुएट हैं, वकालत भी कर चुके हैं और सामाजिक पृष्ठभूमि की बात करें तो वे अपने पंचायत के मुखिया भी रह चुके हैं. पढ़े-लिखे हैं, मोबाइल पर इंटरनेट भी ठीक से चला लेते हैं, कृषि पर बेहतर समझ रखते हैं और चीजें एक्सप्लोर खूब करते हैं. खेती-किसानी के लिए वे देशभर के कई राज्यों का भ्रमण कर चुके हैं.

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भागलपुर के नवगछिया अनुमंडल में पड़ता है उनका गांव- तेतरी, जहां वे फलों की खेती कर रहे हैं. नेशनल हाइवे से सटे अपने एक बड़े प्लॉट पर उन्होंने सेब की खेती शुरू की है. सेब के पेड़ों का यह चौथा साल है और थोड़ा बहुत उत्पादन भी हुआ है, जबकि अगले सीजन से उन्हें कमर्शियल उत्पादन की उम्मीद है. सेब की खेती के बारे में उनसे हमने विस्तार से बात की है.

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कहां से आया आइडिया और कहां से लाए गए पेड़?

गोपाल सिंह बताते हैं इंटरनेट पर उन्होंने एक्सप्लोर किया. देश में कई जगह घूमे. तब फलों की खेती का विचार आया. नारंगी, मुसम्बी, अमरूद वगैरह के पेड़ लगाए. फिर सेब की एक किस्म HRMN-99 के बारे में पता चला, जो 45 से 48 डिग्री टेंपरेचर भी झेल लेता है और फल देता है.

हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर में पनियाला गांव है, जहां जाने-माने कृषि विशेषज्ञ एचआर शर्मा ने इसे वि​कसित किया है. उन्हीं के पास से हमलोग दिसंबर के समय इस किस्म के करीब 1000 प्लांट लेकर आए. अभी 4 एकड़ में सेब की खेती कर रहे हैं. इस बार तीसरा साल है. कई पेड़ों में 10-20 कर के फल लगे थे. अगले सीजन से हमें कमर्शियल उत्पादन की उम्मीद है.

पेड़ कैसे लगाए जाते हैं, सिंचाई का तरीका क्या होता है?

सामान्य पेड़ों की तरह ही सेब के पेड़ भी लगाए जाते हैं. 15 x 15 या 15 x 20 की दूरी पर हमने पेड़ लगाए हैं. सामान्यत: गड्ढा कर के मिट्टी, पानी, खाद वगैरह के साथ पेड़ लगाए गए थे. गोबर से तैयार जैविक खाद यूज किए जाएं तो ज्यादा बेहतर है.

सिंचाई के लिए हमने ड्रिप एरिगेशन कर रखा है, यानी पाइप के सहारे बूंद-बूंद पानी द्वारा. हालांकि फ्लड एरिगेशन यानी सामान्‍य तरीके से भी सिंचाई की जाती है. बहुत विशेष लोड लेने की जरूरत नहीं होती है. 22 से 23 राज्यों में HRMN-99 की खेती अपनाई गई है और हर जगह सफल हो रही है.

सेब की खेती से आमदनी की क्या संभावनाएं हैं?

गोपाल सिंह बताते हैं कि 7 साल के बाद एक पेड़ से 1 क्विंटल फल भी उत्पादन होता है. हालांकि चौथे साल से एक पेड़ से 50 किलो सेब भी मान लिया जाए तो एक पेड़ करीब 5000 से 7500 रुपये की कमाई कराएगा. एक एकड़ में करीब 250 पेड़ लगाए जा सकते हैं तो ऐसे में इन पेड़ों से 15 से 18 लाख रुपये आमदनी होगी. यानी एक एकड़ में सेब की खेती से 15 से 18 लाख रुपये की आय. किसानों के लिए यह फायदे की खेती है.

खेत के थोड़े से हिस्से में फलों की खेती जरूर करें किसान

किसान गोपाल सिंह कहते हैं कि किसानों को अपने खेत के थोड़े हिस्से में फलों की खेती जरूर करनी चाहिए. Ralph Waldo Emerson के फेमस कोट “Shallow men believe in luck. Strong men believe in cause and effect” का जिक्र करते हुए वे कहते हैं कि फूहड़ आदमी किस्मत पर भरोसा करता है, लेकिन मजबूत व्यक्ति कारण और प्रभावों पर बात करता है. इसलिए विश्वास के साथ किसान सेब की खेती करें, निश्चित रूप से अच्छी आमदनी होगी. वे कहते हैं कि इलाके के किसानों को या बाहर के किसानों को जहां भी मदद की उम्मीद होगी, मैं तैयार रहूंगा.

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