गर्मी हो या सर्दी, आप किसी भी मौसम में Naturals Ice Cream पार्लर में चले जाएं, आपको हमेशा ग्राहक कतारों में मिलेंगे। बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक, सभी को यहां के अलग-अलग Natural Ice cream flavors भाते हैं। Naturals Ice Cream की टैग लाइन ‘टेस्ट द ओरिजिनल’ सिर्फ कहने भर के लिए नहीं है, बल्कि यह सच्चाई है। हमेशा से ही, यह ब्रांड अपने नाम पर खरी उतरती आई है। शायद यही कारण है कि देश में पुरानी और बड़ी से बड़ी आइसक्रीम ब्रांड्स को आज यह कंपनी टक्कर दे रही है।
Naturals Ice Cream के अलग फ्लेवर्स, स्वाद और गुणवत्ता ने, उन्हें बाजार में एक अलग पहचान दिलाई। आज देश के लगभग सभी कोनों में कंपनी के आउटलेट हैं और सालाना टर्नओवर 300 करोड़ रुपए से ज्यादा है। लेकिन क्या आपको पता है कि इस कंपनी की शुरुआत एक छोटे से आउटलेट से हुई थी? इसके पीछे सोच थी, एक साधारण से फल-विक्रेता के बेटे की, जिन्होंने कभी कॉलेज नहीं देखा और न ही कोई MBA की डिग्री की। लेकिन फिर भी, उन्होंने अपनी सूझबूझ और अलग-अलग एक्सपेरिमेंट करके यह भारतीय ब्रांड खड़ी कर दी।
गाँव से निकलकर पहुंचे मुंबई:
मूल रूप से, कर्नाटक के एक गाँव से संबंध रखनेवाले रघुनंदन कामत (Raghunandan S Kamath), अपने सभी भाई-बहनों में सबसे छोटे थे। उनके पिता फलों की खेती करते थे और इन फलों को बेचकर ही, उनके घर का खर्च चलता था। सभी तरह की परेशानियों के बावजूद, उनके माता-पिता ने अपने बच्चों को एक बेहतर जिंदगी देने की कोशिश की। साल 1966 में, कामत अपने भाइयों के पास मुंबई जाकर रहने लगे। उनके भाई मुंबई में ‘गोकुल’ नाम से एक फ़ूड इटरी चलाते थे, जहां वे ग्राहकों को इडली, डोसा, चटनी आदि के साथ आइसक्रीम भी देते थे।
हालांकि, आइसक्रीम उनके बिज़नेस का छोटा-सा हिस्सा था। लेकिन कामत के मन में आइसक्रीम को लेकर हमेशा से ही बड़े-बड़े आईडिया होते थे। उनका मानना था कि कर्नाटक से आनेवाले ज्यादातर लोग इडली, डोसा का काम करते हैं। ऐसे में, वे आइसक्रीम में अपनी अलग पहचान बना सकते हैं। लेकिन उस समय छोटे होने के कारण, बड़े भाइयों से वह ज्यादा कुछ कह नहीं पाते थे। 1983 में अपनी शादी के बाद, उन्होंने अपने इस बिज़नेस आईडिया पर काम करने का फैसला किया। उनके भाई भी बिज़नेस को अलग कर रहे थे, इसलिए उन्होंने अपने आईडिया को आगे बढ़ाने की सोची।
उस समय लोगों के लिए आइसक्रीम एक ‘लक्ज़री’ फूड आइटम हुआ करती थी। उन दिनों ज्यादातर लोग घर पर बनी कुल्फी ही खाते थे। लेकिन बात अगर ब्रांड की हो, तो उस जमाने में वाडीलाल, क्वालिटी, और वोल्गा जैसे नाम बाजार में थे। इनकी आइसक्रीम ज्यादातर बड़े होटलों और रेस्टोरेंट्स में खाने के बाद परोसी जाती थी। आइसक्रीम पार्लर तो न के बराबर थे। तब बॉम्बे में एक ‘यंकी डूडल’ हुआ करता था, लेकिन वह भी एक होटल का हिस्सा था। लेकिन कामत ने यह रिस्क लिया कि वह सिर्फ आइसक्रीम पार्लर चलाएंगे।
1984 में शुरू हुआ पहला पार्लर
मुंबई में 14 फरवरी 1984 को Naturals Ice Cream Mumbai का पहला आउटलेट शुरू हुआ। कामत जानते थे कि उन्हें आइसक्रीम बेचने के लिए अमीर और घूमने-फिरने वाले ग्राहकों की जरूरत है। इसलिए उन्होंने जुहू (Juhu Natural Ice Cream) को चुना, क्योंकि इस इलाके में सभी नामी-गिरामी लोग रहते हैं।