मोदी मंत्रिमंडल का विस्तार हो चुका है, लेकिन इस बार का विस्तार मंत्रियों की छंटनी के लिए ज्यादा याद किया जाएगा। यही वजह है कि इस विस्तार में अपनी कुर्सी बचाने के बाद केन्द्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने अपने नये मंत्रालयों का पदभार कुछ अलग अंदाज में ग्रहण किया। वे भगवान गणेश और बुद्ध की मूर्ति लेकर मंत्रालय पहुंचे। यहां पंडित से पूजा कराने के बाद पदभार ग्रहण किया।
बिहार से आने वाले मंत्री अश्विनी चौबे 7 जुलाई को हुए मंत्रिमंडल विस्तार के पहले स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री का जिम्मा संभाल रहे थे। विस्तार में उनके मंत्रालय के कैबिनेट मंत्री हर्षवर्धन की छुट्टी कर दी गई। हर्षवर्धन के इस्तीफे के साथ ये लगभग तय माना जाने लगा कि अश्विनी चौबे की कुर्सी भी जाएगी, लेकिन उनकी कुर्सी बच गई। यही नहीं उन्हें एक की बजाय दो-दो मंत्रालयों का जिम्मा भी मिल गया।
अश्विनी चौबे अब केंद्र में उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के साथ ही पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के राज्य मंत्री बन गए हैं। इन दोनों मंत्रालयों का सोमवार को मंत्री अश्विनी चौबे ने पदभार ग्रहण किया। पदभार ग्रहण करने का अंदाज कुछ अलग ही था। मंत्री जी भगवान गणेश की मूर्ति के साथ मंत्रालय पहुंचे और इसके साथ पंडितों की टोली के मंत्रोच्चार के साथ कुर्सी पर बैठे ।
चर्चा में कमजोर माने जा रहे चौबे, मोदी कैबिनेट में निकले मजबूत
मंत्रिमंडल विस्तार के पहले जिन मंत्रियों का परफॉर्मेंस चर्चाओं में सबसे कमजोर माना जा रहा था उनमें अश्विनी चौबे सबसे आगे थे। कहा जा रहा था कि यूपी चुनाव के पहले बक्सर से आने वाले चौबे जी को मंत्रिमंडल से बाहर किया जा सकता है। वजह यह है कि कोरोना के कारण यूपी, बिहार में स्वास्थ्य सुविधाओं का बुरा हाल दिखा है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अश्विनी चौबे फिर से चमक गए हैं। इससे उलट मोदी कैबिनेट में प्रभावी माने जा रहे रविशंकर प्रसाद की छुट्टी हो गई है।
विवादों के बावजूद हमेशा पद पाने में कामयाब रहे हैं अश्विनी चौबे
बक्सर से सांसद अश्विनी चौबे अपने बयान और कार्यशैली को लेकर विवादों में रहे हैं। घंटों पूजा करना और उसकी वजह से सरकारी कार्यक्रमों तक में लेट पहुंचना अश्विनी चौबे की आदत में शामिल है। वो उन गिने-चुने नेताओं में एक थे, जो बिहार सरकार में मंत्री रहते हुए भी कभी नीतीश कुमार के खिलाफ तो कभी सुशील मोदी के खिलाफ बोलते रहे थे। यही वजह है कि कई बार उनके नीतीश कैबिनेट से भी बाहर होने की चर्चाएं उड़ी, लेकिन चौबे तब भी बचे रहे और स्वास्थ्य विभाग जैसा महत्वपूर्ण विभाग संभालते रहें।