त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं में पदाधिकारियों के चुनाव में अनूठी व्यवस्था की गयी है. पंचायती राज संस्थाओं के उपमुखिया के चुनाव में मुखिया को मतदान करने का अधिकार मिला है, जबकि उपसरपंच के चुनाव का मतदाता उस ग्राम कचहरी का सरपंच होता है. इसके अलावा त्रिस्तरीय ग्राम पंचायत में सिर्फ चार पद ऐसे हैं जिन पर आरक्षण की कोई व्यवस्था नहीं की गयी है.

इन पदों पर निर्वाचित होने वाले पदाधिकारियों का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से होता है. इनमें उपमुखिया, उपसरपंच, उपप्रमुख और उपाध्यक्ष के पद शामिल हैं. इसके अलावा सरकार ने अप्रत्यक्ष रूप से होनेवाले प्रमुख और जिला पर्षद अध्यक्ष के निर्वाचन में सीटों का आरक्षण किया गया है. उपमुखिया का चुनाव वार्ड सदस्यों द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से किया जाता है.

इसी प्रकार से उपसरपंच का चुनाव पंचों द्वारा, जबकि प्रमुख व उपप्रमुख का अप्रत्यक्ष रूप से चुनाव पंचायत समिति के सदस्य और जिला पर्षद के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव जिला पर्षद सदस्यों द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से किया जाता है.

त्रिस्तरीय पंचायती राज के छह पदों के लिए होनेवाले सीधे चुनाव में सरकार ने आरक्षण की व्यवस्था लागू की है. इनमें मुखिया, वार्ड सदस्य, सरपंच, पंच, पंचायत समिति सदस्य और जिला पर्षद के सदस्यों का निर्वाचन सीधे जनता द्वारा किया जाता है. इन सभी पदों पर 50 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया है.

इसके अलावा अप्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित होने वाले प्रखंड प्रमुख और जिला पर्षद अध्यक्ष के चुनाव में भी आरक्षण का प्रावधान किया गया है. पंचायती राज संस्थाओं के सीधे निर्वाचित होनेवाले पदों में 50 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की गयी है.

आरक्षण का लाभ अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग और उनकी महिलाओं के लिए आरक्षित किया गया है. आरक्षण के प्रावधान के अनुसार अनुसूचित जाति-जनजाति के स्थानों के आरक्षण के बाद शेष स्थानों में से पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षित किये जानेवाले स्थानों की संख्या कुल स्थानों के 20 प्रतिशत होगी. इसमें यह भी प्रावधान है कि अनुसूचित जाति-जनजाति व पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण कुल मिला कर 50 प्रतिशत के अंदर होंगे.

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