blank 7 33

11 अप्रैल 2020 के बाद से, भारत के कई राज्यों को टिड्डियों के हमले का सामना करना पड़ा है। राजस्थान से लेकर मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र तक, इन कीटों ने सब्जी और दलहनी फसलों को निशाना बनाया। टिड्डियों के हमले से सबसे ज्यादा नुकसान किसानों को हुआ है जो पहले से ही कोविड 19 के कारण देश भर में लगे लॉकडाउन से बुरी तरह से परेशान हैं।

Also read: रांची में सस्ता हुआ सोना, जाने आपके शहर में क्या है कीमत

टिड्डी चेतावनी संगठन के, प्लांट प्रोटेक्शन ऑफिसर एएम भारिया ने द बेटर इंडिया से बात की और बताया कि इन टिड्डियों के झुंड भारत में क्यों और कैसे आये। इस बारे में विस्तार से आप यहां पढ़ सकते हैं।

Also read: सोने के भाव में बदलाव, चांदी भी चमकी, जाने आपके शहर में क्या है रेट

टिड्डों और कीटों से लड़ने के लिए अलग-अलग रणनीतियाँ अपनाई जा रही हैं, कहीं पटाखे बजाये जा रहे हैं तो कहीं डीजे बजाकर इन्हें भगाया जा रहा है। वहीं हानिकारक कीटनाशकों का स्प्रे किया जाना भी फसलों को नष्ट होने से बचाने का एक बेहतर तरीका बताया जा रहा है। पर हैदराबाद में रहने वाले किसान, चिनथला वेंकट रेड्डी को ये हानिकारक तरीका बिलकुल भी  मंज़ूर नहीं हैं। 

Also read: सोने के भाव में आई कमी, चांदी के भाव बरकरार, जाने 24 कैरेट सोने का रेट

हैदराबाद में रहने वाले किसान, चिनथला वेंकट रेड्डी ने सालों पहले 2004 में टिड्डियों और ऐसे अन्य कीटों को खेतों से दूर रखने के लिए एक ऑर्गेनिक तरीका विकसित किया था। इस साल रेड्डी को सिंथेटिक केमिकलों का इस्तेमाल  किए बिना खेत की उपज बढ़ाने में उनकी नई तकनीकों के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया गया है।

Also read: जारी हुआ पेट्रोल-डीजल का भाव, जाने आपके शहर में क्या है कीमत

रेड्डी एक किसान परिवार में पैदा हुए थे और 12 वीं कक्षा के बाद, अंगूर की खेती किसान करने बनने के लिए उन्होंने, अपनी मर्ज़ी से पढ़ाई छोड़ दी थी। 1982 में जब, उनके क्षेत्र में सूखा पड़ा, तो अपने खेतों में पानी लाने के लिए उन्होंने कुओं की खुदाई शुरू कर दी। उनके इस आईडिया ने काम किया और जल्द ही कुओं में से कीचड़ वाला पानी निकलना शुरू हो गया।

कुछ महीने बाद उन्होंने एक अलग चीज़ देखी। सूखे जैसी स्थिति के बावजूद उनके खेतों में उपज ज़्यादा हुई थी। रेड्डी ने महसूस किया कि पानी से निकली मिट्टी ने फसल को बेहतर पोषण दिया है। रेड्डी ने जानकारी इकट्ठा करना शुरू किया कि कीटों से पौधों की रक्षा के लिए मिट्टी का उपयोग कैसे किया जा सकता है और इसके लिए उन्होंने एक सरल विधि भी विकसित की।

पहला काम पौष्टिक एजेंट के रूप में मिट्टी तैयार करना है। उसके लिए, लगभग 4 फीट गहरी खाई खोदी जाती है और उसके नीचे की मिट्टी एकत्र की जाती है। उसे एक प्राकृतिक नाइट्रोजन खाद, अरंडी मिश्रण के साथ मिलाया जाता है और धूप में सुखाया जाता है। इस मिट्टी को भविष्य में उपयोग के लिए तिरपाल के नीचे संरक्षित किया जाता है और आमतौर पर संतोषजनक परिणाम प्राप्त करने के लिए पर्याप्त पानी में घोलने के बाद फसलों पर छिड़काव किया जाता है।

Raushan Kumar is known for his fearless and bold journalism. Along with this, Raushan Kumar is also the Editor in Chief of apanabihar.com. Who has been contributing in the field of journalism for almost 4 years.