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पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों से आम आदमी की जेब जल रही है, तो दूसरी ओर सरकार ने ये कहते हुए पल्ला झाड़ लिया है कि कीमतें ग्लोबल क्रूड ऑयल से नियंत्रित होती हैं, इसलिए हम कुछ नहीं कर सकते. तो क्या वाकई में कोई रास्ता नहीं है जिससे तेल की कीमतें घटाई जा सकें, या भविष्य में रेट घटने की कोई संभावना दिख रही है. इस पर तमाम ब्रोकरेज हाउस और एक्सपर्ट्स की एक आम राय है कि कच्चा तेल सस्ता नहीं होगा.

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OPEC+ देशों की बैठक पर नजर
ब्रेंट क्रूड बीते एक साल में 26 डॉलर प्रति बैरल तक महंगा हो चुका है. जून 2020 में क्रूड ऑयल 40 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर था और आज ये 76 डॉलर प्रति बैरल के पार ट्रेड कर रहा है. पूरी दुनिया में कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों को लेकर चिंता है. अब सबकी नजरें 1 जुलाई को होने वाली OPEC+ की बैठक पर है. जिसमें अगस्त में उत्पादन पॉलिसी को लेकर फैसला होना है. रूस क्रूड ऑयल की सप्लाई बढ़ाने के पक्ष में है.

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125 रुपये तक पहुंचेंगे पेट्रोल के दाम 

अब अगर OPEC+ देश उत्पादन सप्लाई बढ़ाने का फैसला करते हैं तो क्या भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमतें कम होंगी. इस पर ऑयल एक्सपर्ट अरविन्द मिश्रा कहते हैं डॉलर की तुलना में रुपये में लगातार जारी गिरावट से पहले भी तेल खरीदी के मोर्चे पर राजस्व का दबाव बना हुआ है, इस पर सरकार टीकाकरण अभियान भी संचालित कर रही है, ऐसे में सरकार तेल की कीमतों में किसी तरह की राहत देगी इसकी उम्मीद कम ही है. उनका कहना है कि इस हिसाब से इस साल दिसंबर तक पेट्रोल के दाम 125 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच सकते हैं. 

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