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वर्ष 2021 के 10वीं व 12वीं के बोर्ड परीक्षार्थियों की परीक्षा कराने पर चल रहे मंथन के बीच हर बार बच्चों की सुरक्षा पर आकर बात अटक जाती है। शिक्षाविदों का मानना है कि छात्रों की पढ़ाई का मूल्यांकन उनके लिए जरूरी होता है इसलिए यह होना ही चाहिए। समय और तरीका कुछ भी हो सकता है लेकिन बिना मूल्यांकन बच्चों को रिजल्ट देना बिना अंक के मार्कशीट प्रदान करने जैसा होगा। सीबीएसई के एक्स एग्जाम कंट्रोलर और पूर्व प्रिंसिपल्स का मानना है कि एग्जाम के तरीके भले ही अदले-बदले जाएं लेकिन बच्चों को सुरक्षित रखते हुए किसी भी रूप में परीक्षा कर उनका मूल्यांकन किया जाना चाहिए।

10वीं का ठीक है पर 12वीं की परीक्षा जरूरी

10वीं के लिए जो भी प्रक्रिया अपनाई गई उससे बेहतर इस समय कुछ कर नहीं सकते हैं। 10वीं में बच्चे अधिक होते हैं उन्हें बाहर निकालने का जोखिम लेना उचित भी नहीं है। लेकिन 12वीं के छात्रों की परीक्षा होनी चाहिए। मुख्य विषयों का ही परीक्षा कराएं लेकिन बिना परीक्षा पास करना उचित नहीं होगा। आनलाइन पढ़ाई का स्तर बहुत अच्छा नहीं रहा है। ऐसे में बच्चों की तैयारी भी अलग-अलग स्तर की ही रही है। पढ़ाई के इस स्तर का असर बच्चों पर पड़ा है। इसे बच्चे प्रोफेशनल कालेज में पढ़ाई के दौरान ओवरकम कर सकते हैं। छात्रों को अभी पास कर विश्वविद्यालयों और कालेजों की प्रवेश परीक्षा पर छोड़ देना भी ठीक नहीं होगा क्योंकि वह अपनी सामान्य परीक्षाएं ही नहीं करा पा रहे हैं। -डा. पवनेश कुमार, एक्स एग्जाम कंट्रोलर, सीबीएसई

वैक्सीन लग जाए को बढ़ेगा विश्वास

बोर्ड परीक्षा में शामिल होने वाले छात्र-छात्राओं को यदि वैक्सीन लगवा दिया जाए जो छात्रों, अभिभावकों, स्कूल और सीबीएसई का भी आत्मविश्वास बढ़ेगा। छात्रों के भविष्य के लिए 12वीं की बोर्ड परीक्षा कराना जरूरी है। वर्तमान में चल रही तैयारियां वैसे तो कोविड की स्थित पर निर्भर करेंगी कि परीक्षा का आयोजन कैसे हो सकता है। लेकिन परीक्षा कराने को लेकर आधे समय की परीक्षा, आधे अंक की परीक्षा, आब्जेक्टिव प्रश्नों को देना आदि विकल्प अच्छे हैं। जो भी टेस्ट का डिजाइन तैयार हो उसमें बच्चों के हित व सुरक्षा का ध्यान रखा जाना चाहिए। -एचएम राउत, निदेशक, दीवान पब्लिक स्कूल

बिना परीक्षा अंक बिना मार्कशीट होगी

बिना परीक्षा छात्रों को प्रमोट कर देना बिना अंक के मार्कशीट देने जैसा होगा। हर बच्चे के लिए भविष्य में उनकी मार्कशीट ही उन्हें प्राथमिक तौर पर बयां करती है जिसे वह प्रस्तुत करते हैं। हमें उसे कमजोर नहीं करना चाहिए। 10वीं व 12वीं के बच्चों को परीक्षा के रूप में कुछ भी लिखने का अवसर मिलना चाहिए। बच्चा कुछ न कुछ लिख के दिखाए जरूर। आनलाइन, ओपन बुक आदि बहुत से तरीके हो सकते हैं। इंटरर्नल असेस्मेंट में रिजल्ट अच्छा रखने के लिए नंबर बढ़ाकर दिए जाते हैं। इसलिए उसके आधार पर बच्चों का सही मूल्यांकन नहीं हो सकेगा। छोटा ही टेस्ट लें लेकिन टेस्ट जरूर लें। -अनिल कुमार शर्मा, पूर्व प्राचार्य, नवोदय विद्यालय, मुरादाबाद

साभार – dainikjagran

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