जिंदगी में कई ऐसे मौके आते हैं, जब इंसान को लगता है कि सब खत्म हो गया है. हमें समझ नहीं आता कि अब आगे कैसे बढ़ा जाए. ऐसे समय में कुछ लोगों की कहानियां हमें प्रेरित करती हैं और आगे बढ़ने का हौसला देती हैं. कुछ ऐसी ही कहानी महाराष्ट्र के ‘विदर्भ’ में पैदा हुईं कल्पना सरोज की कहानी है, जिन्होंने जिंदगी का वो दौर देखा है जिसकी शायद हम और आप कल्पना भी नहीं कर सकते. एक समय में उनके घर के हालात इतने खराब थे कि कल्पना गोबर के उपले बनाकर बेचा करती थीं . मगर उन्होंने हार नहीं मानी और अपनी मेहनत से खुद का भाग्य बदल दिया. आज वो न सिर्फ करोड़पति हैं, बल्कि दूसरों के लिए प्रेरणा भी हैं.
महज 10 साल की थी जब शादी कर दी गई
महाराष्ट्र के ‘विदर्भ’ में पैदा हुई कल्पना का जीवन बचपन से ही संघर्ष भरा रहा. वह महज 10 साल की थी, जब उनकी शादी कर दी गई. ससुराल आकर न सिर्फ उनकी पढ़ाई रुक गई, बल्कि उन्हें ससुराल में घरेलू हिंसा का शिकार भी होना पड़ा. एक समय ऐसा भी आया, जब उन्होंने हार मानकर आत्महत्या करने की कोशिश की थी. हालांकि, एक रिश्तेदार की मदद से उन्हें बचा लिया गया.
2 रु की दैनिक मजदूरी पर शुरू किया था काम
इस हादसे के बाद 16 साल की उम्र में कल्पना मुंबई लौटीं और अपनी नई जिंदगी शुरू की. यहां आकर उन्होंने एक गारमेंट कंपनी में नौकरी कर ली. यहां एक दिन में उन्हें 2 रुपए की मजदूरी मिलती थी. इस तरह वो धीरे-धीरे आगे बढ़ीं और फिर 50,000 का सरकारी लोन लेकर एक बुटीक शॉप खोल ली. इसके बाद उन्होंने कभी मुड़कर नहीं देखा. अपनी मेहनत से मुंबई में उन्होंने अपनी एक अलग पहचान मिली.
अब करीब 700 करोड़ रु के साम्राज्य पर है राज
उनके जीवन का सबसे बड़ा टर्निग प्वाइंट वो रहा, जब उन्हें सालों से बंद पड़ी ‘कमानी ट्यूब्स’ को चलाने का मौका मिला. 1988 से बंद पड़ी इस कंपनी को कल्पना वर्करों के साथ मिलकर तरक्की के रास्ते पर लेकर गईं. आज की तारीख में कल्पना कमानी स्टील्स, केएस क्रिएशंस, कल्पना बिल्डर एंड डेवलपर्स, कल्पना एसोसिएट्स जैसी दर्जनों कंपनियों की मालकिन हैं और करीब 700 करोड़ के साम्राज्य पर राज कर रही हैं.