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आख़री सांसें गिन रही मुस्लिम पेशेंट के लिए हिन्दू डॉक्टर ने पढ़ा क़लमा, लोगों ने डॉक्टर को दी दुआएं

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इस बुरे वक़्त में लोग धर्म-सम्प्रदाय को दरकिनार कर इंसानियत की सेवा कर रहे हैं. हाल ही में एक खूबसूरत कहानी केरल से सामने आई, जहां एक डॉक्टर ने अपने फ़र्ज़ से ऊपर उठ कर इंसानियत का काम किया. केरल स्थित पल्लकड़ ज़िले से जो ख़बर सामने आई है, वह किसी मिसाल से कम नहीं. 

ज़िले के पट्टांबी इलाके में स्थित सेवाना हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर में जहां एक हिंदू महिला डॉक्टर ने अंतिम सांसें गिन रही मुस्लिम कोरोना मरीज को क़लमा (इस्लामिक प्रार्थना) पढ़ कर सुनाया. कोरोना से बीमार हुई मुस्लिम महिला दो हफ्ते से एसएचआरसी में वेंटिलेटर पर थी और उसके रिश्तेदारों को आईसीयू में जाने की अनुमति नहीं थी. 

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अस्पताल में कार्यरत डॉ. रेखा कृष्णा ने बताया कि मरीज को 17 मई को वेंटिलेटर से बाहर निकाला गया क्योंकि उनके बचने की उम्मीद नहीं थी व उनके परिजनों को इस बात की ख़बर थी. 

रेखा ने कहा, “जैसे ही मैं मरीज़ के पास पहुंची, मुझे लगा कि उन्हें दुनिया को अलविदा कहने में मुश्किल हो रही है. चूंकि वे मुस्लिम थीं, इसलिए मैंने धीरे-धीरे उनके कानों में कलमा पढ़ा. कलमा सुनने के बाद मैंने उन्हें गहरी सांस लेते हुए देखा और फिर वह स्थिर हो गईं.” 

डॉ. कृष्णा ने आगे बताया कि उन्होंने ऐसा कुछ भी करने के बारे में पहले से नहीं सोचा था, यह सब अचानक हुआ. उन्होंने कहा, “मैं ऐसा इसलिए कर पाई क्योंकि मैं दुबई में पैदा हुई और वहीं पली-बढ़ी, इसलिए मैं इस्लामिक रीति-रिवाजों और परंपराओं को जानती हूं. मेरे हिंदू होने के कारण गल्फ में मेरे साथ कभी भेदभाव नहीं हुआ. आज मैंने ऐसा करके केवल गल्फ से मिले सम्मान को लौटाया है.” 

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