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कोरोना की जद में आने वाले औसतन दस फीसदी से भी कम संक्रमितों को चिकित्सकीय ऑक्सीजन देने की जरूरत पड़ती है। किसी मरीज को कितनी मात्रा में ऑक्सीजन की आ‌वश्यकता पड़ेगी, यह संक्रमण की गंभीरता पर निर्भर करता है।

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स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक ज्यादातर संक्रमितों को एक से दो लीटर प्रति मिनट की दर से ऑक्सीजन की आपूर्ति करनी पड़ सकती है। सप्लाई के दौरान होने वाली बरबादी और फेफड़ों की कार्य क्षमता में गिरावट के मद्देनजर यह मात्रा तीन से चार लीटर प्रति मिनट पर भी पहुंच सकती है। हालांकि, जिन मरीजों को एचएफएनसी (हाई फ्लो नेजल कैन्युला) सपोर्ट की दरकार होती है, उनकी ऑक्सीजन जरूरत 60 लीटर प्रति मिनट तक जा सकती है। कुछ मामलों में संक्रमितों को रोजाना 86 हजार लीटर ऑक्सीजन भी देनी पड़ सकती है।

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कितने काम के ऑक्सीजन कंसंट्रेटर
एचएफएनसी सपोर्ट की जरूरत वाले मरीजों को एक ऑक्सीजन सिलिंडर से औसतन चार घंटे तक जीवनरक्षक गैस की आपूर्ति सुनिश्चित की जा सकती है। चूंकि, मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति बेहद सीमित है, इसलिए लोग ऑक्सीजन कंसंट्रेटर का रुख कर रहे हैं। ऑक्सीजन कंसंट्रेटर प्राकृतिक ऑक्सीजन की मदद से शुद्ध ऑक्सीजन का उत्पादन करते हैं, जिसे कैन्युला (नाक में लगने वाली लघुनलिका) के जरिये ग्रहण किया जा सकता है।

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इस सूरत में भर्ती करना बेहद जरूरी
विशेषज्ञों के अनुसार घर पर पृथक रह रहे कई कोविड संक्रमित ऑक्सीजन कंसंट्रेटर का इस्तेमाल कर रहे हैं। ऑक्सीजन कंसंट्रेटर शरीर में ऑक्सीजन का स्तर सुधारने में कारगर तो है, लेकिन सिर्फ उन्हीं मामलों में, जिनमें मरीज को प्रति मिनट दो से तीन लीटर मेडिकल ऑक्सीजन की जरूरत हो। अगर कंसंट्रेटर के इस्तेमाल के बावजूद संक्रमित को सांस लेने में तकलीफ महसूस हो तो उसे तुरंत अस्पताल में भर्ती हो जाना चाहिए।

ऐसे जानें ऑक्सीजन का स्तर
-90 फीसदी से नीचे ऑक्सीजन का स्तर जाने पर मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति की जरूरत पड़ती है।
-06 मिनट की चहलकदमी के जरिये कोविड-19 से संक्रमित मरीज ऑक्सीजन का स्तर आंक सकते हैं।

इतने अंतर को हल्के में न लें
-डॉक्टरों ने छह मिनट की चहलकदमी शुरू करने के पहले और बाद में ऑक्सीमीटर की मदद से ऑक्सीजन का स्तर नापने की सलाह दी है। अगर ऑक्सीजन के स्तर में सुधार के बजाय गिरावट दिखे और यह अंतर तीन फीसदी या उससे अधिक हो तो इसे चेतावनी के तौर पर लें। यही नहीं, अगर छह मिनट की चहलकदमी पूरी होने से पहले ही आप हांफ जाएं तो समझिए कि शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो रही है। दोनों ही सूरतों में आपको चिकित्सकों की देखरेख में मेडिकल ऑक्सीजन लेने की जरूरत पड़ सकती है।

इसलिए पड़ती है ऑक्सीजन की जरूरत
-विशेषज्ञों ने बताया कि आराम की मुद्रा में औसत वयस्क प्रति मिनट सात से आठ लीटर ऑक्सीजन अंदर लेता और बाहर छोड़ता है। अंदर ली गई हवा में जहां 21 फीसदी ऑक्सीजन होती है। वहीं, बाहर छोड़ी गई वायु में इसका स्तर 15 प्रतिशत रहता है। दोनों के बीच जो छह फीसदी का अंतर है, वह फेफड़े सोखते हैं। जब फेफड़ों को प्राकृतिक हवा से इतनी मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पाती तो सांस लेने में तकलीफ की शिकायत सताने लगती है। चूंकि, कोविड-19 में फेफड़ों की ऑक्सीजन सोखने की क्षमता कमजोर पड़ जाती है, इसलिए मरीज को कृत्रिम ऑक्सीजन देने की जरूरत पड़ती है।

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