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केरल के जिस स्कूल को सब ‘फ़ेल’ मान कर उसके बंद होने की तैयारी कर थे, उसी स्कूल को एक टीचर की मेहनत ने पूरी तरह बदल दिया. और ऐसा बदला कि इस स्कूल से एक के बाद एक IAS अधिकारी निकले.

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केरल के थ्रिसुर ज़िले में पड़ता है Pazhayannur शहर. इस शहर का गवर्नमेंट हायर सीनियर सेकेंडरी स्कूल बंद होने की कगार पर था. स्कूल का पासिंग रेश्यो इतना बुरा था कि ज़्यादातर बच्चे स्कूल छोड़ कर CBSE और ICSE स्कूलों की तरफ़ जा रहे थे. सब मान चुके थे कि ये स्कूल दिनों में बंद हो जाएगा. लेकिन, एक टीचर था जिसने इस स्कूल को सबसे सफ़ल स्कूलों की लिस्ट में शुमार कर दिया. ये कहानी है एक अकेले टीचर की सोच और हिम्मत की, जिसने बुरी परिस्थिति के आगे एक मिनट के लिए भी घुटने नहीं टेके. 

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वी. राधाकृष्णन की B.Ed करने के कुछ दिनों बाद ही इस स्कूल में नियुक्ति हुई थी. ये उनकी पहली नौकरी थी. पहली ही नौकरी में स्कूल बंद हो जाना किसी भी टीचर की प्रेरणा को ख़त्म कर सकता है, लेकिन राधाकृष्णन धुन के पक्के थे. उन्होंने ठान लिया था कि वो इस स्कूल को बंद नहीं होने देंगे. उन्होंने बाकी टीचर्स के साथ प्लान बनाया और बच्चों को स्कूल के बाद भी कोचिंग देनी शुरू की. इनमें से अधिकतर बच्चे किसान परिवार से थे, उन्होंने अपने घरवालों को बिना पढ़ाई के पैसे कमाते हुए देखा इसलिए शिक्षा की तरफ़ उनका कोई ख़ास रुझान नहीं था.

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राधाकृष्णन ने ऐसे बच्चों पर ख़ास ध्यान देना शुरू किया, उन्हें पढ़ाई के लिए प्रेरित किया. वो इन बच्चों के पेरेंट्स की कॉउंसलिंग करने भी गए. और देखते ही देखते, जिस स्कूल का पासिंग परसेंटेज सिर्फ़ 20% था, वो 80 % पहुंच गया. लगभग ख़त्म हो चुके एक स्कूल को फिर उठाने का काम एकलौते टीचर की मेहनत का फल था. उनके इस काम की तारीफ़ आज भी कई पूर्व छात्र करते हैं. 

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राधाकृष्णन ने स्कूल की लाइब्रेरी का ज़िम्मा भी संभाला और कोशिश करी कि हर एक बच्चा एक किताब ज़रूर पढ़े. राधकृष्णन ख़ुद उस समय PCS की तैयारी कर रहे थे और वो जानते थे कि पढ़ाई का महत्व क्या है. उन्होंने पढ़ाने के तरीके को भी चैलेंज करते हुए बच्चों को नए तरीके से पढ़ाना शुरू किया. वो बच्चों के लिए क्विज़ बनाते और उसी के आधार पर सवाल पूछते. उनकी ये टेक्नीक इतनी पॉप्युलर हुई कि आस-पास के रेडियो चैनल की तरफ़ से भी उन्हें क्विज के लिए न्यौता आने लगा. 

इस स्कूल को 11 साल देने के बाद भी राधाकृष्णन स्टूडेंट्स से जुड़े रहे और उनकी हौसलाअफ़ज़ाई करते रहे. उनमें से आज कई बच्चे IAS बन चुके हैं और अपनी सफ़लता में राधाकृष्णन को श्रेय देते हैं. ऐसे टीचर हर किसी के लिए प्रेरणा होते हैं.  

Raushan Kumar is known for his fearless and bold journalism. Along with this, Raushan Kumar is also the Editor in Chief of apanabihar.com. Who has been contributing in the field of journalism for almost 4 years.