blank 13 2

पहले के समय में जहाँ खेती-बाड़ी के काम को गाँव के लोगों का ही कार्य माना जाता था, क्योंकि तब इसे लेकर लोगों में जागरूकता नहीं थी. लेकिन आजकल जैसे-जैसे लोग खेती बारे में समझ रहे हैं तो पढ़े लिखे लोग भी इस कार्य में दिलचस्पी ले रहे हैं और वे आधुनिक तरीके से खेती करने को प्रवृत्त हैं।

Also read: ट्रेन में मिलेगी कंफर्म सिट, बिहार से दिल्ली के लिए चलेगी स्पेशल ट्रेन

ऐसे ही एक युवा किसान हैं, राहुल जाधव (Rahul Jadhav) , जो महाराष्ट्र के सतारा जिले के पिंपोड़े बुद्रुक (तहसील कोरेगांव) गाँव से सम्बन्ध रखते हैं। पहले राहुल जाधव खेती का काम नहीं किया करते थे, बल्कि बैंक में उनकी अच्छी खासी जॉब थी, परन्तु फिर उन्होंने बैंक की वह जॉब छोड़ कर आधुनिक तरीके से प्याज सीड की खेती शुरू कर दी। इस खेती के काम से उन्हें वह सब कुछ हासिल हुआ जो वह जॉब करके नहीं प्राप्त कर पा रहे थे उन्हें ना सिर्फ़ अपनी एक अलग पहचान मिली बल्कि आज करोड़ों की कमाई भी कर रहे हैं। चलिए जानते हैं कि उन्होंने बैंक ऑफिसर से एक सफल किसान बनने तक का सफ़र कैसे तय किया…

Also read: पटना से चलेगी 25 से ज्यादा स्पेशल ट्रेन, जाने रुट व टाइमिंग


राहुल जाधव ने महाराष्ट्र के राहुरी स्थित महात्मा फ़ुले कृषि विद्यापीठ से एग्रीकल्चर में MSC किया है। उसके पश्चात उनकी जॉब पंजाब नेशनल बैंक में लग गई, जहाँ वे करीब साढ़े चार वर्षों तक बतौर एग्रीकल्चर ऑफिसर काम किया करते थे। इस सम्बंध में राहुल बताते हैं कि उनके माता-पिता यह बिल्कुल पसंद नहीं था कि वह अपना पुश्तैनी खेती का बिजनेस छोड़कर जॉब करें। फिर उन्होंने भी अपने माता-पिता की इच्छा अनुसार जॉब छोड़ कर खेती में क़िस्मत आजमाने का फ़ैसला किया।

Also read: रांची में सस्ता हुआ सोना, जाने आपके शहर में क्या है कीमत

राहुल के पिताजी रामराव जाधव ज्वार, गेहूँ, चावल जैसी परंपरागत खेती करना पसंद नहीं करते थे, अतः वे प्याज सीड की खेती किया करते थे, सम्भवतः यही वज़ह रही होगी कि राहुल ने भी अपने पिताजी की ही तरह प्याज सीड की खेती करना उचित समझा।

Also read: कोलकाता से जयनगर के लिए चलेगी स्पेशल ट्रेन, जाने कहां कहां रुकेगी ट्रेन

अब करते हैं सालाना 4 से 5 करोड़ रूपये का टर्नओवर, 180 से ज़्यादा किसानों को देते हैं रोज़गार

राहुल बताते हैं कि वे प्याज की एक पूना फुरसुंगी नामक क़िस्म के बीजों का उत्पादन करते हैं। इस कार्य के लिए वे 85 से 110 ग्राम के प्याज को चुनते हैं। उनकी 12 एकड़ की ज़मीन है जिसमें वह यह कार्य करते हैं। प्याज़ सीड के उत्पादन कार्य हेतु वह क्षेत्र के अन्य किसानों की भी सहायता लेते हैं। आज उनके साथ क्षेत्र के किसान काम करते हैं, जिससे करीब 180 से ज़्यादा किसानों को रोजगार भी मिल रहा है।

वे कहते हैं कि उनके द्वारा पैदा किए गए प्याज सीड मध्य प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे कई राज्यों में भेजे जाते हैं। आपको बता दें कि पिछले ही वर्ष उन्होंने करीब 25 से 30 टन प्याज के बीजों का प्रोडक्शन किया था और अब वे हर साल करीब 4 से 5 करोड़ रूपये का टर्नओवर कर रहे हैं।

Raushan Kumar is known for his fearless and bold journalism. Along with this, Raushan Kumar is also the Editor in Chief of apanabihar.com. Who has been contributing in the field of journalism for almost 4 years.