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इंसान अगर अपने मन में ठान ले तो पत्थर पर भी फूल उगा सकता है और यह बात है राजस्थान के मरुस्थल में अनार के पौधों की खेती करने की। जिसे संभव किया राजस्थान की संतोष देवी खेदड़ ने। जिस ज़मीन पर दूर-दूर तक उपजाऊ मिट्टी और पानी नज़र नहीं आता वैसे ज़मीन पर इन्होंने अनार जैसे पौधों की खेती की और लोगों के लिए बन गई मिसाल। अब इनकी सालाना आमदनी है 25 से 30 लाख रुपए। बेटियों को दहेज में 500 अनार के पौधे ही दिए।

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वैसे तो आज कल प्रचलन है, खेती में नए-नए एक्सपेरिमेंट्स करने का। पारम्परिक तरीकों को छोड़कर वैज्ञानिक तरीके से खेती करने का एक जुनून बन गया है। पहले जहाँ लोग नौकरी को ज़्यादा प्राथमिकता देते थे, वह वहीं अब बहुत लोग अपनी अच्छी खासी नौकरी छोड़ खेती की ओर अग्रसर हो रहे हैं। इसके नए-नए तरीके और गुण सीख रहे हैं।

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संतोष देवी खेदड़

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राजस्थान की रहने वाली संतोष देवी खेदड़  की चर्चा भी आज लोगों के बीच जोरो शोरो से चल रही है, क्योंकि उन्होंने राजस्थान के मरुस्थल में जैविक तरीके से खेती कर, कृषि क्षेत्र में एक नया उदाहरण पेश किया है और इस खेती से उनकी वार्षिक आमदनी करीब 30 लाख तक हो रही है।

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25 जून 1974 में जन्मी संतोष, के पिता पुलिस की नौकरी में थें, जिनके पास लगभग 20 बीघा ज़मीन थी, जहाँ ये लोग खेती किया करते थे। इसी वज़ह से बचपन से ही संतोष का खेती के प्रति अच्छा ख़ासा लगाव था। वैसे तो इन्होंने अपनी 5वीं तक की पढ़ाई दिल्ली से की। उसके बाद ये अपने गाँव आ गई और वहीं से 10वीं तक की शिक्षा पूरी की। लेकिन पढ़ाई में ज़्यादा में ना लगने के कारण इन्होंने पढ़ाई छोड़ 12 साल की उम्र से ही खेती करने की विस्तृत जानकारी लेने लगीं।

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कैसा था मुश्किल भरा समय?

यहाँ तक तो सब ठीक था, लेकिन इनके लिए मुश्किलें तब और बढ़ गई जब साल 2008 में इनके घर का बंटवारा हुआ और इनके हिस्से मात्र डेढ़ एकड़ ज़मीन आई। खेती शुरू करने के लिए इन्हें आर्थिक समस्या बहुत हो रही थी तब इन्होंने अपने भैंस को भी बेचने का फ़ैसला किया और बेच दिया और खेती करना शुरू किया।

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खेती के साथ, कृषि फार्म के जरिए किसानों को देती है प्रशिक्षण

संतोष ने अपना एक कृषि फार्म भी खोला है जहाँ यह किसानों को खेती के हर तरीके हर गुण का प्रशिक्षण देती हैं कि कैसे आप अपनी मिट्टी को ज़्यादा उपजाऊ बनाएँ, कैसे आप अपनी फसलों की ज़्यादा पैदावार कर सकते हैं, कैसी ज़मीन पर किस तरह की खेती करनी चाहिए या कैसे ज़्यादा ज्यादा मुनाफा कमा सके इत्यादि।

इनके पास करीब 15 से 20 किसान खेती के गुण सीखने आते हैं जिनकी सहायता करना इन्हें बहुत अच्छा लगता है और सबसे बड़ी बात है कि उन किसानों के लिए यह अपने हाथों से खाना बनाती हैं और वहाँ लोगों के आराम करने की व्यवस्था भी करवाती हैं।

Raushan Kumar is known for his fearless and bold journalism. Along with this, Raushan Kumar is also the Editor in Chief of apanabihar.com. Who has been contributing in the field of journalism for almost 4 years.