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बीते दिन नार्थ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी और साउथ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी के अधिकारी के एक बैठक हुई है. जिसमे बिहार राज्य के लिए बिजली की समस्या से निपटने के लिए 9000 करोड़ रूपये खर्च करने पर निर्णय हुआ है. इस बैठक में रिवैम्पड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम (आरडीएसएस) और बीएसपीएचसीएल के वारिये अधिकारी संजीव हंस भी शामिल हुए थे. रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉरपोरेशन (आरईसी) के साथ एक डील की गई है जिसमे बिहार में बिजली आपूर्ति के लिए 9000 करोड़ का आबंटन किया जायेगा.

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गाँव की बात तो छोड़ दीजिये सभी छोटे-छोटे शहर में बिजली की संकट बनी रहती है. कही पोल गिर जाता है तो कही तार टूट जाता है. कभी पावर ग्रिड में समस्या हो जाती है तो कभी ट्रांसफॉर्मर ख़राब हो जाता है. इससे गाँव में तो काम चल जाता है मगर पटना, हाजीपुर, मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, छपरा ,सिवान, भागलपुर, गया, दरभंगा के साथ सहरसा और मधेपुरा के शहरी इलाके में काफी दिक्कत होती है.

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इसी से निपटने के लिए बिहार में अब बिजली के सभी उपकरणों को बदला जायेगा. पुरानी और कमजोर तार तो हटा कर नई लगाई जाएगी. पावर ग्रिड, पोल , ट्रांसफार्मर और पावर सब स्टेशन को दुरुस्त किया जायेगा. बिहार में अब इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी ऑपरेशनल टेक्नोलॉजी (आईटीओटी) भी लगाये जायेंगे. सभी पुराने मीटर को हटा कर स्मार्ट मीटर लगाया जायेगा.

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निर्माण के लिए नार्थ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी को 3100 करोड़ रूपये मिलेंगे. इसके साथ ही साउथ बिहार कंपनी को 3525 करोड़ की राशी मिलेगी. इस सभी को 4 साल में खर्च कर लेना है. बिहार में स्मार्ट मीटर पर 1993 करोड़ रूपये खर्च होंगे. इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी ऑपरेशनल टेक्नोलॉजी (आईटीओटी) के लिए कुल 400 करोड़ रूपये खर्च किये जाएंगे।

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