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बिहार में चौर क्षेत्र को जलकृषि के रूप में किया जाएगा विकसित, मछली उत्पादन को मिलेगा बढ़ावा

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तेजी से बदल रही तकनीक के साथ हर किसी को खुद को बदलना जरूरी है। अगर तकनीक के साथ आगे नहीं बढेंगे तो पिछड़ जाएंगे। एक आम किसान (Farmer) भी थोड़ी बहुत खेती से अच्छी खासी कमाई (Farmers Income) कर सकता है. आप बिहार में रहकर मछली पालन करना चाहते हैं और तो यह खबर आपके लिए है आपको बता दूं कि बिहार में रहकर अगर आप मछली पालन करना चाहते हैं. तो यह खबर आपके लिए है. बिहार वासियों के मछली की 7.33 लाख टन की जरूरत को पूरा करने के लिये राज्य सरकार ने नई योजना की शुरुआत की है. इसके तहत छह लाख 91 हजार हेक्टेयर के चौर क्षेत्र (आर्द्र भूमि) को मछली पालन के लिये उपयुक्त बनाने के प्रयास में सरकार जुट गयी है. मुख्यमंत्री समेकित चौर विकास योजना के तहत राज्य में यह कार्य किया जायेगा.

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7.33 लाख टन मछली की खपत

आपको बता दे की बिहार में अभी 7.33 लाख टन मछली की खपत होती है. लेकिन बिहार में वार्षिक उत्पादन सिर्फ 6.83 लाख टन का ही है. इसी वजह से पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग ने मछली उत्पादन बढ़ाने के लिये और साथ ही चौर क्षेत्र को जल कृषि के रूप में विकसित करने के लिये मुख्यमंत्री समेकित चौर विकास योजना तैयार की गयी है.

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9.41 लाख हेक्टेयर में आर्द्र भूमि है

मीडिया रिपोर्ट की माने तो इस नई योजना के तहत बिहार में उपलब्ध लगभग 9.41 लाख हेक्टेयर आर्द्र भूमि में से करीब ढाई लाख हेक्टेयर ही मछली पालन के लिये उपयुक्त है. यदि चौर को विकसित कर लिया जाता है तो मछली उत्पादन कई गुणा बढ़ाया जा सकता है.

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