बिहार सरकार ने राज्य के सरकारी स्कुल के बच्चो के लिए एक बहुत ही बड़ा फैसला लिया है. बता दे की नया शैक्षणिक सत्र 2022-23 से शुरू हो चुका है. इसी को ध्यान में रखते हुए बिहार सरकार के द्वारा सरकारी स्कूलों में क्लास एक से आठ के लगभग 1.34 करोड़ बच्चों के खातों में डीबीटी के जरिए पैसे भेजने का इंतजाम कर रही है. सरकार ने बच्चों के खातों के लिए 416 करोड़ रुपये जारी किए हैं. बताया जा रहा है कि इस सप्ताह तक यह राशि बच्चों के खातों में भेज दी जाएगी. फिलहाल बाजारों में सरकारी प्रकाशन की सभी किताबें नहीं मिल रही हैं. इस समय नयी किताबों नहीं छापी गई हैं, और बाजारों में पिछले साल की पुरानी किताबें उपलब्ध हैं.
80 प्रतिशत बच्चों के पास किताबें नहीं : मीडिया रिपोर्ट की माने तो ग्रामीण क्षेत्रों में इसकी समस्या ज्यादा है. जहां पर 80 प्रतिशत बच्चों के पास अभी भी किताबें नहीं हैं. वहीं सभी शिक्षक नवनियुक्त किताबों से बच्चों को पढ़ा रहे हैं. किताबें उपलब्ध न होने के कारण शिक्षक नोट्स बनवाने पर बाध्य हैं. जिससे बच्चों को भाषा अभ्यास में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. यहां तक कि कक्षा एक से पांच तक बच्चों के पास किताबें उपलब्ध नहीं है. बाजारों में ज्यादातर दुकानदारों के पास कक्षा 7 की कई पुस्तकें उपलब्ध नहीं है. इसी संबंध में शिक्षा विभाग के द्वारा पांच प्रिंटर्स को किताबें छापने के लिए कहा गया है.
ग्रामीण क्षेत्रों तक नहीं पहुंच पा रहीं किताबें : आपको बता दे की किताबों का प्रकाशन बाजार में मांग के हिसाब से किया जाता है. यहां तक की कई बड़े शहरों में मांग का पता नहीं लग पाता है, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों तक किताबें नहीं पहुंच पा रही हैं. इसका मुख्य कारण यह है कि ग्रामीणों की मांग का आकलन नहीं हो पाता है. साथ ही ग्रामीण इलाकों में किताबों की पर्याप्त दुकानें भी उपलब्ध न होने के कारण भी दिक्कत हो रही है. जानकारी के मुताबिक किताबों के लिए जारी किए गए पैसों में आधा खर्च शहरों से किताबें खरीद कर लाने में ही हो जाता है.