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जीविका के सहयोग से पिंक मशरूम का उत्पादन कर बिहार की महिला बनी आत्मनिर्भर

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तेजी से बदल रही तकनीक के साथ हर किसी को खुद को बदलना जरूरी है। अगर तकनीक के साथ आगे नहीं बढेंगे तो पिछड़ जाएंगे। एक आम किसान (Farmer) भी थोड़ी बहुत खेती से अच्छी खासी कमाई (Farmers Income) कर सकता है. ऐसा ही बिहार के बाराचट्टी प्रखंड क्षेत्र के भगहर गांव की गीता देवी अपने घर के सारे काम करते हुए पिंक मशरूम का उत्पादन कर आत्म निर्भर बन रही हैं। खबरों की माने तो गीता देवी ने जीविका के सहयोग से वर्ष 2016 में मशरूम का उत्पादन शुरू किया था। उस समय उनकी आर्थिक स्थिति काफी दयनीय थी। उनके पति सुनील कुमार घर पर ही दर्जी का काम कर एवं कभी-कभी दूसरे प्रदेशों में जाकर काम कर अपने परिवार की परवरिश किया करते थे।

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जीविका के कारण कृषि संबंधी उत्पादन का मिला प्रशिक्षण : बताया जा रहा है की जीविका के सहयोग से 20 अगस्त 2019 से 5 सितंबर 2019 तक राष्ट्रीय कृषि विस्तार प्रबंधन संस्थान हैदराबाद जिसे मैनेज के रूप में जाना जाता है में 15 दिन का प्रशिक्षण प्राप्त की। उसके बाद पंजाब नेशनल बैंक ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान गया के द्वारा भी जनवरी 2021 में 15 दिवसीय मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण प्राप्त की हूं। एवं मुझे दिसंबर 2021 में पीएनबी ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान के द्वारा डेढ़ लाख रुपए का लोन मशरुम उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए प्राप्त हुआ है। जिसके बाद अपने व्यवसाय को और बढ़ा रही हूं।

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पिंक मशरूम उत्पादन ज्यादा फायदेमंद : आपको बता दे की वह बताती है कि वर्ष 2020 से पिंक मशरूम का उत्पादन कर रही हूं इसके पहले तक उजला मशरूम का उत्पादन करते थे। पिंक मशरूम का उत्पादन हर दृष्टिकोण से ज्यादा फायदेमंद है। वह बताती है कि साधारण मशरुम अगर 160 रुपए प्रतिकिलो बिकता है। वहीं पिंक मशरुम दो सौ रुपए प्रति किलो बिकता है। इसका स्वाद भी काफी अच्छा है।

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