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नौकरी के लिए विदेश जाने वाले लोगों की कम हो रही संख्या, अब बिहार में ही युवा खोज रहे हैं रोजगार

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बिहार भर से विदेश जाने वालों की संख्या में लगातार कमी आ रही है. पिछले कुछ सालो की तुलना में अभी बिहार में एक तिहाई लोग ही बिहार से विदेश नौकरी के लिए जा रहे हैं. विदेश मंत्रालय के आंकड़ों से इसकी पुष्टि होती है. पिछले दो वर्षों में महामारी भी एक बड़ा कारण रहा है. उसके बाद यह आंकड़ा और घटा है. लोग बिहार में ही रोजगार के साधन ढूंढ़ रहे है. इसको लेकर बिहार की सरकार ने भी लोगों को रोजगार से जोड़ने के लिए नयी-नयी पहल की है, जिसका लाभ भी लोगों को मिल रहा है.

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यह है महामारी से पूर्व का आंकड़ा : आपको बता दे की महामारी के पहले वाले वर्ष की बात करें तो 2019 में बिहार से 55 हजार 420 लोग विदेश गये थे, लेकिन महामारी वाले 2020 में मात्र 13 हजार 832 लोग ही विदेश गये. 2021 में कुछ संख्या जरूरी बढ़ी,लेकिन फिर यह नाकाफी ही कही जायेगी. 2021 में 24 हजार 40 लोग ही विदेश गये है. वहीं महामारी के पहले वाले वर्षोँ में देखें तो बिहार से रिकार्ड संख्या में लोग विदेश जाते रहे हैं. पिछले छह वर्षों का आंकड़ा देखें तो 2016 में सबसे अधिक 76 हजार से अधिक लोग रोजी-रोजगार या अध्ययन के लिए विदेश गये. जानकारों के अनुसार महामारी के कारण घर वापसी में परेशानी को देखते हुए भी लोग बाहर जाने से कतरा रहे हैं. बिहार के लोग अपने गृह राज्य में ही काम कर रहे हैं.

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पासपोर्ट बनाने वालों में कमी नहीं : बताया जा रहा है की विदेश जाने वालों की संख्या में कमी के बावजूद पासपोर्ट बनाने वालों की संख्या में कोई कमी नहीं आ रही है. 2021 में एक लाख 69 हजार से अधिक लोगों ने पासपोर्ट भी बनवाया हैं. जिसमें सबसे अधिक सीवान से 33 हजार से अधिक लोगों ने पासपोर्ट बनाया है वहीं, पूर्वी चंपारण से 14 हजार 141, गोपालगंज से 28 हजार 589 लोगों ने पासपोर्ट बनाया, जबकि पटना से 22 हजार से अधिक तो सारण भी 13 हजार से अधिक लोगों ने पासपोर्ट बनाएं हैं. सबसे कम पासपोर्ट बनाने वालों की संख्या शिवहर में 850, तो शेखपुरा से 805 लोगों की है. हालांकि यह जिले भी छोटे है.

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विदेश जाने वालों को मिलती है यह सुविधएं : विदेश जाने के पहले विदेश मंत्रालय की ओर से इमिग्रेशन दिया जाता है. बिहार से विदेश जाकर रोजगार करने वालों को मेडिकल सर्टिफिकेट और अन्य दस्तावेजों की जांच-पड़ताल पटना में अवस्थित विदेश मंत्रालय के प्रोटेक्टर्स ऑफ इमिग्रेंट ऑफिस के माध्यम से हो रही है. पटना में कार्यालय नहीं होने पर बिहार के लोगों को कोलकाता या रायबरेली जाना पड़ता था. नियोजन भवन में इसका कार्यालय है. वैसे पटना में विदेश भवन बनाने के लिए गर्दनीबाग में 1.46 एकड़ जमीन चिह्नित की गयी है.

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खास बात यह है की कम पढ़े-लिखे लोगों के विदेश जाने पर उनका उन्मुखीकरण (ओरिएंटशन) किया जा रहा है. इसके लिए 36 अधिकारियों को मास्टर ट्रेनर बनाया गया है. अभी पटना, गया, पूर्णिया, मुजफ्फरपुर व दरभंगा प्रमंडल में लगने वाले उन्मुखीकरण कार्यक्रम में कामगारों को विदेश में बरती जाने वाली सावधानियों से अवगत कराया जा रहा है.

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