बिहार ने विकास की दौड़ में पिछड़ने से बचने के लिए केंद्र की मोदी सरकार से विशेष सहायता अनुदान की मांग की है। बिहार के उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने दिल्ली में आयोजित देशभर के वित्त मंत्रियों की बैठक में गुरुवार को यह मांग उठाई। 2022-23 के आम बजट में राज्यों की मांग पर चर्चा के लिए यह बैठक बुलाई गई थी। बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने की।
आपको बता दे की बिहार सरकार की ओर से दिए ज्ञापन में कहा गया है कि नीति आयोग के 12 सूचकांकों में बिहार को राष्ट्रीय औसत के स्तर पर लाने के लिए भारत सरकार से अतिरिक्त संसाधन की जरूरत है। बताया जा रहा है की इसके अलावा राजकोषीय घाटे के लक्ष्य और उधारी की क्षमता को 2022-23 तक के लिए पांच फीसदी तक करने का आग्रह भारत सरकार से किया गया है। वहीं, समग्र शिक्षा अभियान के तहत शिक्षकों के वेतन मद में केंद्र सरकार से 60 फीसदी राशि का वहन करने की मांग करते हुए इस अनुपात में केंद्रांश जारी करने पर भी बिहार सरकार का जोर है।
बता दे की इसके अलावा अल्पसंख्यक वर्ग के छात्र-छात्राओं के लिए पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना में कोटा हटाने की मांग करते हुए सभी छात्रों को इससे जोड़ने की मांग की गई है। अनुसूचित जाति एवं जनजाति निवारण योजना के तहत मिलने वाले मुआवजे की बकाया राशि भी जल्द से जल्द जारी करने का अनुरोध किया गया है। बिहार में पांच हजार नई बैंक शाखाओं की स्थापना की जरूरत भी जताई गई।
केंद्र से राशि मांगी
- – 8400 करोड़ रुपए केंद्र से शिक्षकों के वेतन की भरपाई के लिए
- – 4285 करोड़ की योजनाएं नेशनल इन्फ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन के तहत मंजूर की जाए
- – 2491 करोड़ पूरक पोषाहार योजना के तहत वार्षिक आवंटन के तहत उपलब्ध कराए
- – 570 करोड़ रुपए ग्रामीण सड़कों के निर्माण के लिए भारत सरकार जारी करे
- – 500 करोड़ केंद्र सरकार पिछड़ा एवं अति पिछड़ा छात्रों की छात्रवृत्ति के लिए उपलब्ध कराए
- – 383 करोड़ 50 लाख का बकाया अनुदान विश्वविद्यालय अनुदान आयोग जल्द जारी करे