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बोधगया, बिहार की राजधानी पटना से लगभग 100 किमी दूर दक्षिण- पूर्व दिशा में स्थित है और गया जिला से सटा हुआ एक छोटा सा शहर है. बोधि वृक्ष के बारे में तो आपने सुना ही होगा। वहीं बोधि वृक्ष, जहां भगवान बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था। पहले तो आप ये जान लीजिए कि ‘बोधि’ का मतलब ‘ज्ञान’ होता है और वृक्ष का मतलब पेड़ यानी ‘ज्ञान का पेड़’। दरअसल, बोधि वृक्ष बिहार के गया जिले में बोधगया स्थित महाबोधि मंदिर परिसर में स्थित एक पीपल का पेड़ है। बताया जा रहा है की इसी पेड़ के नीचे ईसा पूर्व 531 में भगवान बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था।

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बौद्ध भिक्षुओं की ओर से बोधगया को दुनिया के सबसे पवित्र शहरों में से एक माना जाता है. क्योंकि यहां भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ती हुई थी. आपको बता दे की यहां मौजूद काफी पुराने महाबोधि मंदिर को वर्ष 2002 में यूनेस्को की ओर से विश्व धरोहर का दर्जा दिया गया था. बौद्ध धर्म को मानने वालों के अलावा अन्य धर्मों के लोग भी ध्यान(Meditation)करने और प्राचीन पर्यटन स्थलों को देखने के लिए बोधगया आते हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि इस पेड़ को दो बार नष्ट करने की कोशिश की गई थी, लेकिन हर बार चमत्कारिक रूप से यह पेड़ फिर से उग आया था।

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इतिहास : जानकारी के लिए बता दे की बोधगया एक प्राचीनतम शहर (Oldest City bodhgaya) है. लगभग 500 ईसा पूर्व यहां गौतम बुद्ध ने फल्गु नदी के किनारे बोधि वृक्ष के नीचे बैठकर कठिन तपस्या किया था. जिसके बाद उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई थी. यहीं ज्ञान प्राप्ति होने के बाद वे बुद्ध (Baddha) के नाम से जाने गए. इसलिए बुद्ध के अनुयायी इस स्थान पर जुटने लगे. धीरे धीरे ये जगह बोधगया के नाम से जाना गया और जिस दिन बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई उस दिन को पूर्णिमा के नाम से जाना गया. कहा जाता है कि महाबोधि मंदिर में स्थापित बुद्ध की मूर्ति साक्षात उसी अवस्था में है जिस अवस्था में बैठकर उन्होंने तपस्या की थी और वह मूर्ति स्वयं भगवान बुद्ध द्वारा स्थापित की गई थी. नालंदा और विक्रमशिला के मंदिरों में भी इसी मूर्ति की प्रकृति को स्थापित किया गया है.

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