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सफलता की कहानी: अपनी गाव से पहली IAS बनी ममता पिता करते थे निजी कंपनी में काम, नहीं आने दी गरीबी को बाधा

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UPSC (Union Public Service Commission) की परीक्षा को अपने आप में सबसे कठिन और कड़ा एग्जाम माना जाता है | ऐसा कहा जाता है कीं अगर इंसान ठान ले तो वो दुनिया में कुछ भी कर गुजर सकता है | असंभव (impossible) की भी एक न एक दिन शुरुआत करनी ही पड़ती है | और जब उसे सफलता मिलती है तो वही शख्स आने वाले पीढ़ी के लिए मार्ग दर्शन का कारण बनते हैं | ऐसे ही इस बार हाल ही में upsc का परिणाम (result) जारी हुआ है |

जिसमे इस बार 545 पुरुष और 216 महिलाओं का चयन (selection) हुआ है। इस बात टॉप 5 में लड़कियों ने बाजी मारी है। ममता यादव (mamta yadav) ने इस बार पांचवी रैंक हासिल की है और इसी के साथ उनके बचपन का सपना पूरा हो गया है। ममता के लिए UPSC (Union Public Service Commission) में ये कामयाबी पहली नहीं है, वह इससे पहले भी UPSC क्लियर कर चुकी हैं।

जबकि पिछले साल घोषित हुए नतीजों में उनकी 556 रैंक आई थी। उन्होंने रेलवे कार्मिक (railway man) सेवा के लिए प्रशिक्षण भी शुरू कर दिया था। लेकिन उन्हें अपने ऊपर विश्वास था, इसलिए उन्होंने एक बार फिर एग्जाम देने का फैसला किया था। ममता ने अपनी कमियों में सुधार किया | और एक बार फिर इस परीक्षा के लिए प्रयास किया। ममता के लिए ये फैसला लेना आसान नहीं था। क्योंकि उनके पिता एक निजी कंपनी में काम करते हैं और घर के हालात भी कुछ खास नहीं थे।लेकिन उन्होंने पहले के अपेक्षा adhik मेहनत की और आज उनका मेहनत भी सफल हो गया |

ममता एकदम सिंपल गर्ल (simple girl) है मूल रूप से बसई गांव की रहने वाली ममता यादव का परिवार फिलहाल दिल्ली में ही रह रहा है। उनकी मां सरोज यादव (saroj yadav) गृहिणी है। ममता ने दिल्ली के ग्रेटर कैलाश के बलवंत राय मेहता स्कूल से 12वीं तक की पढ़ाई की थी। इसके बाद उन्हें दिल्ली यूनिवर्सिटी (delhi univercity) के ‘द हिंदू’ कॉलेज में एडमिशन मिल गया था। बताया जाता है की ममता अपने बचपन के क्लास से ही स्कूल में टॉप आती है | और उनका जज्बा बचपन से ही पढने के प्रति अत्यधिक है |

जब ममता से उनके इस सफलता का राज पूछा गया तो उन्होंने बताया की ये सिर्फ मेरा ही नही बल्कि ये मेरे परिवार मेरे माता पिता की संघर्ष की जीत है | वहीँ उनके पिता पूरा श्रेय ममता की माँ को देते है | वो बताते है हम तो टाइम to टाइम अपने ड्यूटी (duty) पर रहते थे | लेकिन मेरी पत्नी यानि ममता की मम्मी उसका पूरा ख्याल रखती थी | आज ममता के घर वाले के साथ उनका पूरा परिवार खुश है | और चारो तरफ सिर्फ इनके ही चर्चे है | अपने परिवार के साथ पूरा गाव समाज को भी गौरवान्वित की ही ममता ने |

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