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दूसरे प्रयास में अंकिता को UPSC में मिली थी 14वीं रैंक, जानें उम्मीदवारों को क्यों देती हैं कम किताब से पढ़ाई करने की सलाह

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यूपीएससी की परीक्षा को अपने आप में सबसे कठिन और कड़ा एग्जाम माना जाता है | असंभव की भी एक न एक दिन शुरुआत करनी ही पड़ती है | और जब उसे सफलता मिलती है तो वही शख्स आने वाले पीढ़ी के लिए मार्ग दर्शन का कारण बनते हैं | आज हम एक छोटे से कस्बे की रहने वाली यूपीएससी टॉपर की बात करेंगे।

आज हम हरियाणा के एक छोटे से कस्बे की अंकिता चौधरी की बात करेंगे। अंकिता साल 2018 में 14वीं रैंक के साथ यूपीएससी परीक्षा में सफलता प्राप्त कर अपने कस्बे की पहचान बन चुकी हैं। अंकिता हरियाणा के रोहतक जिले के एक कस्बे की रहने वाली हैं. उनकी शुरुआती पढ़ाई भी यहीं हुई. इंटरमीडिएट के बाद उन्होंने दिल्ली से ग्रेजुएशन किया.

पहले प्रयास में नहीं मिली सफलता
अंकिता ने जब पहली बार यूपीएससी की परीक्षा दी, तो वे फेल हो गईं. लेकिन उन्होंने अपनी कमियों का एनालिसिस किया और दूसरे प्रयास में उन्हें सुधारकर बेहतर तरीके से तैयारी की. इस बार उन्होंने जब यूपीएससी की सिविल परीक्षा दी तो उनका चयन IAS के लिए हो गया.

अंकिता शुरू से ही पढ़ाई में बहुत अच्छी थीं। यूपीएससी परीक्षा देना और इस क्षेत्र में आना अंकिता का बचपन का सपना था।अंकिता ने इस दिशा में प्रयास भी शुरू कर दिए था। अंकिता एक इंटरव्यू में बताती हैं कि उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई हरियाणा से पूरी की। बारहवीं के बाद आगे की पढ़ाई के लिए उन्होंने दिल्ली का रुख किया और यहीं से उन्होंने ग्रेजुएशन और पोस्टग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की। दोनों ही क्लासेस में अंकिता ने केमिस्ट्री विषय चुना और उन्होंने इसमें सफलता भी प्राप्त की। जो भी IAS बनते है वो  लोगों के लिए मिसाल बन जाते हैं |

वहीं, अंकिता का मानना है कि यूपीएससी की सिविल सर्विसेज की तैयारी करने वाले अभ्यर्थियों को कम किताबों से तैयारी करनी चाहिए. क्योंकि किताब बदल-बदल कर तैयारी करने से कन्फ्यूजन बढ़ता है. इससे एग्जाम भी गड़बड़ हो जाता है.  

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