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IAS शुभम बताते है की हर महीने पापा के भेजे 3200 रुपये में मुझे पापा की तस्वीर दिखती थी |

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बिहार के कटिहार के लाल शुभम UPSC में टॉप करके अपने परिवार के साथ साथ पुरे बिहार को गौरवान्वित किये है | ऐसे में वो अपने रिजल्ट के बाद बिहार में बहुत जगह घुमने भी गए है अपने बचपन के स्कूल भी गए है | इस दौरान उन्होंने स्कूल से जुड़ी कई यादें व अपनी सफलता की कहानी अपने जूनियर्स को सुनाई.2020 के यूपीएससी टॉपर बिहार के कटिहार जिले के रहने वाले शुभम कुमार ने कहा कि इस रिजल्ट ने पूरी लाइफ चेंज कर दी। मुझे अब भी विश्वास नहीं हो रहा है कि मैं यूपीएससी टॉप कर गया हूं। आज के0 एन0 बासुदेवन सर जिंदा होतो तो बहुत प्राउड फिल करते। मैं यहां के शिक्षकों से बहुत कुछ सीखा। चार हाउस मास्टर और सोनाली मैम को धन्यवाद देता हूं। विद्या विहार शिक्षकों से बना है। और मै उन सारे शिक्षको को बधाई देना चाहता हू जिन्होंने मुझे इतना काबिल बनाया |

बच्चो को दिए ये सारे सवाल का जवाब

बिहार के हीरो शुभम ने बताया कि मैरे पिता मेरे इंस्प्रेशन है। अपने पिता से हमेशा दूसरों की मदद करना सीखा। वहां से मुझे लोगों की मदद करने का इंस्प्रेशन मिला.जब मैं लोगों के लिए काम करूंगा, तो मुझे संतुष्टी होगी।

आवासीय विद्यालय और विद्यालय में क्या फर्क है

बिहार के आईएस शुभम ने जवाब देते हुए कहा कि आवासीय विद्यालय में सीखने को बहुत कुछ रहता है। ओवर ऑल डेवलपमेंट घर में सीमित होता है लेकिन आवासीय विद्यालय में सीखने को हल पल होता है।

आपने आईआईटी पहले फिर यूपीएससी को क्यों चुना ?

इसका जवाब बिहार के लाल शुभम ने इस सवाल का जवाब देते हुए कहा कि आपके पास बेकअप प्लान होना चाहिए। ग्रेजुएट तो होना ही है अगर मैं आईआईटी मैं जाता हूं तो मेरे पास एक बेकअप प्लान रहेगा इसलिए आईआईटी के बाद यूपीएससी चुना। आप अपने अनुभव से बहुत कुछ सीखते हैं। एक सीधी लाइन पर नहीं चलना चाहिए। आईआईटी के दौरान इंन्टर्नशिप में मुझे लगा कि यूपीएससी करना चाहिए।

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