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कब है बिहार का महापर्व छठ पूजा! जानें नहाय खाय, खरना और अर्घ्य का सही समय व शुभ मुहूर्त पूरी जानकारी

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हिन्दू धर्म में up बिहार में होने वाले छठ पर्व बहुत ही महतवपूर्ण और बिहार में बहुत बड़ा पर्व माने जाते है खास कर यह पर्व बिहार और यूपी में लोग बहुत धूम धाम से मनाते है. बिहार और यूपी में यह पर्व की शुरुआत तो कार्तिक माह के चढ़ते ही शुरू हो जाती है | लेकिन दिवाली के दिन से यह मुख्य रूप से स्टार्ट हो जाता है | दिवाली के ठीक छठवे दिन ये पर्व मनाया जाता है | ये पर्व पुरे चार दिन का होता है | आईये जानते है बिहार का महापर्व छठ पूजा 2021 की टाइम डेट और शुभ मुहूर्त

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क्या है छठ पूजा की सही तारीख

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हिंदी कलेंडर के अनुसार इस बार बिहार का महापर्व छठ पूजा की सही तारीख है कार्तिक माह के सुक्ल पक्ष यानि की ये महापर्व ८ तारीख से लेकर 12 तक चलेगा जैसा की हमलोग जानते है बिहार में छठ पूजा पुरे चार दिन का होता है जिसे बिहार के लोग बड़ी धूम-धाम से मानते है |

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नहाय खाय

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बिहार का महापर्व छठ पूजा की शुरुआत नहाय खाय के साथ ही हो जाती है जिसमे वर्तियो को नहाने के वाद खाना होता है | और बिहार में छठ पूजा के दिन सरे लोग अपने अपने घर की साफ़ सफाई करते है | और इस बार यानि २०२१ में नहाय खाय हिंदी कैलेंडर के अनुसार ८ नवम्बर २०२१ को है |

खरना :-

बिहार का महापर्व छठ पूजा के दुसरे दिन यानि नहाय खाय के अगले दिन को खरना कहा जाता है | जिसमे बिहार और यूपी के वर्तियो को पुरे दिन का उपवास रहता है और सरे वर्तियो पुरे दिन २४ घंटा उपवास के बाद शाम को सूर्यदेव को साक्षी मानकर अपने अपने घर में प्रसाद के रूप में खीर बनाते है | और सूर्यदेव को नमन करके प्रसाद ग्रहण करते है | तथा उसी समय के बाद वर्तियो पुरे ३६ घंटो के लिए बिहार में मशहुर छठी मैया के लिए निर्जला वर्त रखती है | अर्थात इस बार खरना ९-११-२०२१ को होगा |

सूर्य को संध्या अर्घ्य देना

खरना के अगले दिन आता है संध्या अरक इसी दिन सरे व्रतियो सैम को सूर्यदेव को साक्षी मानकर नदी या तलब में खड़े होकर अपनी वर्त को सफल करते है |

पारण

फिर लास्ट में होता है बिहार का महापर्व छठ पूजा यानि भोरका अरकसंध्या अर्घ्य के बाद फिर से अगले सुवह होती है पारण का कार्य क्रम संध्या अर्घ्य के जैसे ही इसमें भी सब कुछ होता है | इसके होने के बाद बिहार का महापर्व छठ पूजा ख़तम हो जाता है | और फिर सरे वर्तियो अपना वर्त तोड़कर खाना खाते है और सरे लोग अपने अपने रिश्तेदारों के यहाँ प्रसाद का आदान प्रदान करते है |

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