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कमाल के हैं की बिमली चाची के कारनामे, महिलाओं के लिए बनी मिसाल

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आधी आबादी अब सशक्त हो रही है। न सिर्फ शहरी बल्कि ग्रामीण परिवेश में भी। सख्त फैसले ले रही है।सामाजिक वर्जनाओं को तोड़कर घर की देहरी से बाहर निकल सामाजिक कार्यों में हाथ बंटा रही है।

लैंगिंग भेदभाव, घरेलू हिंसा, सेनेटरी पेड जैसे मुद्दों पर बहस कर रही है।जागरुक हो रही और दूसरों को भी जागरुक कर रही है। गांवों में रह कर कुछ अलग, खास करने वाली कुछ सशक्त नारी शक्ति को जानिए…

घरेलू हिंसा, लैंगिंग भेदभाव के विरुद्ध बिमली चाचीबिमली देवी उर्फ बिमली चाची बेलवां की मात्र पांचवीं पढ़ी वार्ड सदस्य हैं, लेकिन निडर एवं आत्मविश्वास से निर्णय लेती हैं।कहती हैं कि घरेलू हिंसा, लैंगिक आधार पर भेदभाव तथा बाल विवाह पर विशेष नजर रखती हूं। किसी भी हाल में घरेलू हिंसा और भेदभाव बर्दास्त नहीं। एक बार एक महिला को उसके पति ने मारपीट कर घर से बाहर निकाल दिया।

बिमली चाची ने तुरंत उसके घर जाकर पूरी जानकारी ली और परिवार के सदस्यों और अन्य जन प्रतिनिधियों के समक्ष मामले को सुलझाया।कहती हैं कि सब के साथ होता है और ये कोई नई बात नहीं है, ऐसा कहकर हिंसा को बढ़ावा नहीं देना चाहिए।18 से पहले शादी नहीं करने देतीं प्रिंसीदाउदनगर के नवरतनचक निवासी स्नातक छात्रा प्रिंसी कुमारी नेहरू युवा केंद्र की वोलेंटियर हैं।

साझा पहल परियोजना से जुड़ कर लैंगिक भेदभाव, महिला हिंसा, बाल विवाह, प्रभात फेरी निकाल लिंग आधारित भेदभाव के प्रति लोगों को जागरूक करने का काम कर रही हैं।लड़कियों को पढ़ाई करने के लिए प्रेरित करती हैं। कोशिश कि कोई लड़की बीच में पढ़ाई न छोड़े। सी-3 के साथ यह प्रयास कर रही हैं कि लड़कियों की शादी 18 साल से कम उम्र में न हो।

बिना पति जनता के लिए प्रखंड दौड़तीं सरतिमाकरमा के धनांव की वार्ड सदस्य सरतिमा देवी के पति जयपुर की एक कंपनी में काम करते हैं। बीते पांच साल से महिलाओं को आगे बढ़ाने का काम कर रही हैं।जीतीं तो कुछ पता नहीं चल रहा था कि क्या करना है। सी-3 के प्रशिक्षण से शक्ति मिली तो आत्मविश्वास बढ़ गया।

शौचालय बनवाने के लिए लोगों को इसका महत्व बता प्रेरित किया, मदद की। जनता की समस्याओं को ले प्रखंड कार्यालय तक जाती हैं। कहती हैं- महिलाएं अब कमजोर नहीं हैं।पति-पत्नी में विवाद की एक घटना आमीन पति को शराब छोड़ने और फिर से पत्नी के साथ रहने को समझकर घर टूटने से बचाया।

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