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प्रेरणा : 40 साल से बंजर पड़ी जमीन को हरा कर चार महीने में पाया मेहनत का फल

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विपरित परिस्थितियों से लड़कर आगे बढ़ने वाले को ही सफलता मिलती है। ऐसी ही विषम परिस्थितियों से लड़कर उद्यान रत्न बनने वाले बिहार के किसान का नाम मुन्ना प्रजापति है। बता दे की जिला शिमला के कोटगढ़ इलाके में एक शख्‍स ने 40 साल से बंजर पड़ी जमीन काे हरा भरा कर मेहनत का फल पाया है। शमातला पंचायत के भड़ासा गांव में बंजर पड़ी जमीन पर अब सेब की फसल लहलहा रही है। वह भी महज 4 महीनों के भीतर। आईजीएमसी में वरिष्ठ तकनीशियन कपूर जिस्टू ने फरवरी में अपने प्लाट में स्पर वैरायटी के डार्क बैरोन गाला और मैमा गाला किस्म के सेब के पौधों को लगाया।

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खास बात यह है की जून महीने में इन पौधों पर फल लग गए। 230 रुपये प्रति किलो के भाव से उनका सेब मंडी में बिका। छह महीनों में ही फल आने से पौधे की ग्राेथ रुक सकती थी, इसलिए थिनिंग (फूल के बाद फल लगते वक्त ही उसे तोड़ दिया था) कर दी थी। हर पौधे पर सैंपल के लिए केवल 4 से 5 सेब ही रहने दिए। बड़ी बात यह है कि सेब का यह बागीचा 4 हजार फीट की ऊंचाई पर है, जबकि 5500 व इससे अधिक की ऊंचाई पर अच्छी किस्म का सेब होता है।

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आपको बता दे की कोटगढ़ की शमातला पंचायत के भड़ासा गांव के बागवान कपूर जिस्टू ने बताया उन्होंने यह पौधे लोकल नर्सरी से ही खरीदे हैं। ये इटली से आयातित सेब के फैदर प्लांट हैं। 15 फरवरी के करीब इन पौधों को लगाया था। 25 जून को सेब के दो बॉक्स सैंपल के तौर पर निकाले। सेब का रंग और आकार बेहद अच्छा है। उन्होंने कहा सैंपल ही 230 रुपये में बिका है। जब पूरी तरह से फसल आएगी तो काफी अच्छे दाम मिलेंगे।

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बताते चले की जिस्टू ने बताया वह सरकारी कर्मचारी हैं। लेकिन बागवानी से उनका लगाव शुरू से रहा है। उनका एक बागीचा 5500 फीट की ऊंचाई पर है। नौकरी के साथ बागीचे को केवल छुट्टी के दिन ही समय दे पाते हैं। यह जमीन काफी समय से बंजर पड़ी थी। गांव के लोगों ने उन्हें प्रोत्साहित किया कि वह यहां पर सेब लगाएं। उनका यह प्रयोग काफी सफल रहा है।

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इसको लेकर उनका कहना है की उनके पास गांव में साढ़े 3 बीघा के करीब की जमीन बंजर पड़ी हुई थी। बंजर जमीन पर उन्होंने हाई डेनेस्टी पर सेब उगाने का निर्णय लिया। डेढ़ महीने का समय जमीन को तैयार करने में लगा। सेब के पौधे रोपने के बाद 4 महीने में उन्हें मेहनत का फल भी मिल गया है। कपूर जिस्टू बताते हैं कि उन्होंने 4 हजार फीट की ऊंचाई में एम 9 रूट स्टॉक पर डार्क बेरेन गाला, किंग रॉट जैसी किस्मों को उगाया है।   

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