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“आवश्यकता ही आविष्कार की जननी होती है,” इस कहावत को सच करने में हमारे देश के किसान किसी भी इंजीनियर या फिर वैज्ञानिक से पीछे नहीं हैं। उनके पास भले ही कॉलेज और विश्वविद्यालय की डिग्री न हो लेकिन अनुभव का तो भंडार उन्हीं के पास होता है। वे अपने आस-पास की समस्याओं का हल अपनी ही तकनीक से निकालते हैं, इसलिए किसान से बड़ा कोई शोधकर्ता नहीं होता है।

अपने छोटे-बड़े आविष्कारों के चलते आज हमारे देश में किसान-वैज्ञानिकों की कोई कमी नहीं। इससे पहले, द बेटर इंडिया ने आपको धर्मबीर कम्बोज, गोपाल मल्हारी भिसे, बच्चूभाई ठेसिया, भांजीभाई माथुकिया जैसे किसान-वैज्ञानिकों की कहानियों से रू- ब-रू कराया है।

आज एक बार फिर हम आपको एक किसान से मिलवाने जा रहे हैं, जिनके एक आविष्कार ने बहुत से किसानों की समस्याओं का हल निकाल दिया है। उस किसान भाई का नाम है- गणपति भट। उन्होंने सुपारी के पेड़ पर चढ़ने के लिए खास ‘एरेका बाइक’ बनाई है।

60 वर्षीय गणपति भट ने ‘द बेटर इंडिया’ को बताया, “हम किसान परिवार से आते हैं। पढ़ाई के बाद से ही मैं अपने खेतों को संभालने लगा। हमारे यहां नारियल और सुपारी के बहुत से पेड़ हैं और हमारे इलाके में यही कमाई का ज़रिया है। लेकिन पिछले कुछ सालों से पेड़ों पर चढ़कर नारियल और सुपारी तोड़ने वाले मजदूर नहीं मिलते हैं।”

गणपति कहते हैं कि पलायन की वजह से उनके इलाके में किसानों को वक्त पर पेड़ों पर चढ़ने में माहिर लोग मिलना मुश्किल हो गया। वह खुद भी यह परेशानी झेल रहे थे। उन्होंने बताया कि अगर सही समय पर नारियल और सुपारी की फसल को नहीं तोड़ा जाता तो फल नीचे गिरकर बर्बाद हो जाता है।

गणपति बताते हैं कि पेड़ों पर चढ़ने वाले लोगों की कमी से जब खेती प्रभावित होने लगी तो उन्होंने सोचा कि दुनिया में इतनी मशीनें हैं तो क्या ऐसा कुछ नहीं बन सकता जिससे किसान बिना किसी डर से खुद पेड़ों पर चढ़ पाएं। लगभग दो साल की कड़ी मेहनत के बाद, पिछले साल गणपति को अपनी मशीन बनाने में सफलता मिली। उन्होंने सुपारी के पेड़ों पर चढ़ने के लिए ‘एरेका बाइक’ बनाई, जिसकी मदद से आप बिना किसी डर के पेड़ पर चढ़कर सुपारी तोड़ सकते हैं।

क्या है ‘एरेका बाइक’

इस बाइक में उन्होंने 2 स्ट्रोक इंजन, हाइड्रोलिक ड्रम ब्रेक्स, हैंड गियर, और एक सेफ्टी बेल्ट का इस्तेमाल किया है। इस बाइक से आप 30 सेकेंड में 30 मीटर ऊँचे पेड़ पर चढ़ सकते हैं। साथ ही, इस पर आपको न तो गिरने का डर है और न ही चोट लगने का।

गणपति बताते हैं, “मैंने बाइक के मैकेनिज्म पर ही काम किया और पेट्रोल से चलने वाली यह बाइक बनाई। बाइक का वजन 28 किलोग्राम है और यह 80 किलोग्राम तक के वजन वाले इंसान का भार झेल सकती है। एक लीटर पेट्रोल में आसानी से 80 पेड़ों पर चढ़कर पेस्टीसाइड स्प्रे कर सकते हैं और फसल तोड़ सकते हैं।

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