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अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए लोग पर्सनल लोन लेते हैं. कोविड की महामारी में इसकी मांग और भी बढ़ गई है. अचानक पैसे की जरूरत पड़ने पर जैसे हम मित्र, सगे या संबंधी से उधार लेते हैं. उसी तरह की व्यवस्था के तहत जरूरतों के लिए बैंक या गैर-वित्तीय संस्थाओं से भी कर्ज ले सकते हैं. बैंक यह लोन फटाफट दे भी देते हैं क्योंकि उन्हें ब्याज से भारी कमाई होती है. जैसे बैंक, वैसी उनकी ब्याज दरें. अब ग्राहक को तय करना है कि उसे किस बैंक में नफा हो सकता है. किस बैंक में कम ब्याज पर ज्यादा उधार लिया जा सकता है.

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पर्सनल लोन में सबसे बड़ी चिंता ब्याज दरों की होती है. इसकी रेट अमूनन ऊंची होती है जिसके चलते लोग पर्सनल लोन जल्दी लेने से हिचकते हैं. लेकिन जब जरूरत सिर चढ़ कर बोल रही हो, तो क्या ही कर सकते हैं. कार लोन की तुलना में पर्सनल लोन की ब्याज दर ज्यादा होती है. ऊंची ब्याज दर के पीछे एक बड़ी वजह है. पर्सनल लोन निहायत ही असुरक्षित उधार की श्रेणी में आता है. बैंक लोन देता है, लेकिन इस शंका-आशंका के साथ कि उधार की अदायगी होगी भी या नहीं. लोन रीपेमेंट के नजरिये से पर्सनल लोन बेहद असुरक्षित माना जाता है. ऐसा देखा जाता है कि पर्सनल लोन अन्य उधार और कर्जों की तुलना में ज्यादा डूबता है. कायदे-कानून कुछ ऐसे हैं कि बैंक या गैर-वित्तीय संस्थाएं चाह कर भी बहुत कुछ नहीं कर सकतीं.

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पर्सनल लोन ‘खतरनाक’

पर्सनल लोन ऐसा होता है जिसे किसी संपत्ति (asset) का समर्थन प्राप्त नहीं होता. यानी कि पर्सनल लोन डूब जाए तो बैंकों के हाथ में ऐसा कुछ नहीं होता जिससे वे भरपाई या क्षतिपूर्ति कर सकें. बैंक जब किसी को लोन देते हैं, इन सभी बातों को ध्यान में रखते हैं. यही वजह है कि बैकों ने पर्सनल लोन देने के लिए अलग-अलग मापदंड (parameters) निर्धारित किए हैं. जैसे कोई वेतनशुदा कर्मचारी है तो उसे लोन कैसे देना है. कोई स्वरोजगार में है, तो उसे लोन कैसे देना है. इसी पैरामीटर्स के हिसाब से जरूरी दस्तावेजों की मांग भी होती है. लोन देने से पहले बैंक कर्ज लेने वाले व्यक्ति की इनकम, मौजूदा क्रेडिट, लोन चुकाने की क्षमता और अन्य पहलुओं पर गौर करते हैं.

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इन बातों पर करें गौर

इन सभी फैक्टर पर गौर करते हुए पर्सनल लोन से पहले एक बार सोच लेना चाहिए कि क्या लेना जरूरी है. यह भी सोचना चाहिए कि लोन तो ले लेंगे, लेकिन उसका भारी-भरकम ब्याज कैसे चुकाएंगे. ब्याज नहीं चुकाने का मतलब आसानी से समझ सकते हैं. मूलधन के साथ-साथ ब्याज का अंबार लगता जाएगा और आप कर्च के जंजाल में फंस सकते हैं. लोन रीपेमेंट का डिफॉल्ट आपको मानसिक प्रताड़ना दे सकता है. ऐसे में आइए हम आपको बताते हैं कि कम ब्याज पर कौन सा बैंक कितने रुपये का ब्याज दे रहा है. यह भी जानेंगे कि ईएमआई (EMI) और प्रोसेसिंग फीस (processing fee) क्या होगी.

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पीएनबी में सबसे कम ब्याज

पंजाब नेशनल बैंक 8.45-1450 परसेंट के ब्याज पर 2,049 से 2,353 रुपये की ईएमआई के साथ लोन अमाउंट का 1 परसेंट यानी कि 270-450 रुपये प्लस जीएसटी ले रहा है. बैंक ऑफ महाराष्ट्र की ब्याज दर 8.55-12.90 परसेंट है. इसकी ईएमआई 2,054-2,270 रुपये बनती है. लोन की राशि का 1 परसेंट या न्यूनतम 1,000 रुपये प्रोसेसिंग फीस ली जाती है. बीपीसीएल के कर्मचारियों से कोई फीस नहीं ली जाती. इंडियन बैंक की ब्याज दर 9.05-13.65 परसेंट है और इसकी ईएमआई 2,078-2,309 रुपये बनती है. प्रोसेसिंग फीस लोन अमाउंट का 1 परसेंट है. यूनियन बैंक 9.30-13.40 परसेंट की दर से पर्सनल लोन दे रहा है. इसकी ईएमआई 2,090-2,296 रुपये होती है और प्रोसेसिंग फीस के तौर पर लोन अमाउंट का 0.50 परसेंट या न्यूनतम 500 रुपये प्लस जीएसटी लिया जाता है.

आईडीबीआई बैंक की दरें

पंजाब एंड सिंध बैंक 9.50-11.50 परसेंट की दर से ब्याज देता है. ईएमआई 2,100-2,199 रुपये की है और प्रोसेसिंग फीस लोन अमाउंट का आधा परसेंट से 1 परसेंट प्लस जीएसटी होती है. आईडीबीआई बैंक 9.50-14.00 परसेंट के हिसाब से ब्याज लेता है और इसकी ईएमआई 2,100-2,327 रुपये होती है. प्रोसेसिंग फीस के लिए लोन अमाउंट का 1 परसेंट या न्यूनतम 2,500 रुपये वसूले जाते हैं. स्टेट बैंक ऑफ इंडिया 9.60-13.85 परसेंट का ब्याज लेता है और 2,105-2,319 रुपये ईएमआई होती है. लोन अमाउंट का 1.50 परसेंट या न्यूनतम 1,000 रुपये और अधिकतम 15,000 रुपये प्लस जीएसटी प्रोसेसिंग फीस के लिए लिया जाता है. सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया 9.85-10.05 परसेंट के ब्याज पर 2,117-2,149 रुपये की ईएमआई पर लोन दे रहा है. इसके लिए 500 रुपये प्लस प्रोसेसिंग फीस रखी गई है.

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