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पूर्णा ने पांच साल की उम्र में ही खो दी थी आंखों की रोशनी, यूपीएससी परीक्षा पास कर बनीं आईएएस

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जहां अधिकांश लोग अपने जीवन में आने वाली चुनौतियों और असफलताओं से हार मान लेते हैं,‌ वहीं पूर्णा सांथरी अपनी सफलता से लोगों के लिए मिसाल बन गई हैं। तमिलनाडु के मदुरई की रहने वाली पूर्णा सांथरी ने 5 साल की उम्र में ही अपनी आंखों की रोशनी खो दी थी लेकिन उन्होंने कभी इस कमज़ोरी को अपने सफलता के रास्ते में बाधा नहीं बनने दी है। उन्हें अपने सफ़र में बहुत सारी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन हर बार उनके माता पिता और दोस्त उनके साथ खड़े रहे। पूर्णा ने अपने अथक प्रयासों और परिवार वालों की मदद से साल 2019 में यूपीएससी की परीक्षा में 286 रैंक हासिल की।

पूर्णा एक मध्यम वर्गीय परिवार से हैं। उनके पिता मार्केटिंग के क्षेत्र में सेल्स एग्जीक्यूटिव हैं और उनकी माता एक होम मेकर हैं। पूर्णा ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मदुरई पिल्लैमर संगम हायर सेकेंडरी स्कूल से प्राप्त की है। पूर्णा बचपन से ही पढ़ने में तेज थीं और वह बोर्ड परीक्षा में अपने स्कूल की टॉपर भी रही हैं। इसके बाद उन्होंने मदुरई के ही फातिमा कॉलेज से इंग्लिश लिटरेचर में बैचलर्स की डिग्री हासिल की।

वह साल 2016 से यूपीएससी परीक्षा की तैयारी कर रही थी। फिर साल 2018 में उन्होंने तमिलनाडु ग्राम‌ बैंक में बतौर क्लर्क की नौकरी शुरू कर दी थी‌। नौकरी के साथ वह यूपीएससी की तैयारी भी कर रही थीं और फिर अपने पांचवें प्रयास में उन्होंने यह परीक्षा क्लियर कर ली। पूर्णा कहती हैं कि उन्होंने कक्षा 11 से ही आईएएस ऑफिसर बनने का मन बना लिया था। वह एक आईएएस ऑफिसर बन कर महिला सशक्तिकरण, शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में काम करना चाहती थी।

पूर्णा को यूपीएससी की तैयारी के लिए कुछ स्टडी मैटेरियल ऑडियो फॉर्मेट में नहीं उपलब्ध हो पाते तो उनके माता-पिता दिन-रात किताबें पढ़ते थे। साथ ही उनके दोस्तों ने कुछ किताबों को ऑडियो फॉर्मेट में बदलने में मदद की। पूर्णा अपनी सफलता का पूरा श्रेय अपने माता पिता और दोस्तों को देती हैं, जिन्होंने उनके साथ यूपीएससी की तैयारी के लिए दिन-रात मेहनत की है। पूर्णा कहती हैं कि परिवार और दोस्त के सहयोग के अलावा आपका खुद पर आत्मविश्वास होना चाहिए। अगर आप अपने आप को ही आश्वस्त नहीं कर पाते हैं तो आप सफल नहीं हो सकते हैं।

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