Site icon APANABIHAR

ड्राइवर का बेटा बना IAS , होटलों में जूठें बर्तन साफ कर परीक्षा में 361वीं रैंक पाकर बना टॉपर

blank 12 13


ऑटो चालक का बेटा होटलों में जूठें बर्तन साफ कर बना IAS अधिकारी, 361वीं रैंक पाकर बना टॉपर : शाहरुख खान की एक फिल्म का डॉयलॉग है कि ‘किसी चीज को सिद्दत से चाहो तो पूरी कायनात उसे मिलाने में लग जाती है’. उनकी फिल्म का ये डॉयलॉग ना जाने कितने लोगों के जीवन में उतर गया है. ऐसे ही एक IAS अधिकारी हैं अंसार अहमद शेख. जिनके संघर्ष की कहानी जानकर आप दांतों तले उंगली दबा लेंगे.

अंसार अहमद की कहानी उन लोगों को जरूर पढ़नी चाहिए, जो अपने हालातों और परिस्थितियों के आगे नतमस्तक हो जाते हैं. किसी फिल्मी स्क्रिप्ट की तरह अंसार अहमद ने गरीबी में भूखें रहकर, होटलों में लोगों के जूठे बर्तन साफ किए और पूरी मेहनत से पढ़ाई की और IAS अधिकारी बनकर पूरे देश में अपने परिवार का नाम रौशन किया.

महाराष्ट्र के एक छोटे से गांव शेलगांव में रहने वाले शेख अंसार अहमद (Sheikh Ansar Ahmad) काफी गरीब परिवार से थे. उनके पिता अहमद शेख एक ऑटो चालक थे. अंसार के परिवार में उनके साथ उनकी 2 बहनें और 1 भाई भी रहता था. इतने बड़े परिवार का खर्च चलाना काफी मुश्किल हो जाता था. उनकी मां घर का काम करने के बाद दूसरों के खेतों में काम किया करती थी.

एकबार घर के मुश्किल हालातों और गरीबी को देखते हुए उनके पिता ने उनकी पढ़ाई छुड़वाने की सोंची. उस दौरान वो चौथी कक्षा में पढ़ाई कर रहे थे. पढ़ाई में अच्छा होने की वजह से अंसार अहमद के अध्यापक पुरुषोत्तम पडुलकर ने उनके पिता को पढ़ाई ना रोकने की सलाह दी. एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि अगर उनके अध्यापक ना होते तो शायद वो ऑटो चला रहे होते.

अंसार अहमद (Sheikh Ansar Ahmad IAS) के पिता ने अध्यापक की बात मान ली. अध्यापक के समझाने के बाद उनकी पढ़ाई आगे जारी रही. वो जब 10वीं कक्षा में पहुंचे तब गर्मियों की छुट्टियों के दौरान उन्होंने कंप्यूटर सीखने की ठान ली. जिस कंप्यूटर क्लास को वो ज्वॉइन करना चाहते थे, उसकी फीस 2800 रुपए के आसपास थी.

घर में पैसों की कमी के चलते इतनी बड़ी रकम मिलना बहुत मुश्किल था. फीस भरने के लिए अंसार ने पास के एक होटल में वेटर का काम करना शुरू कर दिया. सुबह 8 बजे से रात 11 बजे तक वो होटल में लोगों के जूठे बर्तन साफ करते, कुएं से पानी भरते, टेबल साफ करते और रात में होटल की फर्श साफ करते थे. इस दौरान जब उन्हें 2 घंटे का ब्रेक मिलता तो वो खाना खाकर कंप्यूटर क्लास अटेंड करने जाते थे.

Exit mobile version