Site icon APANABIHAR

Bihar: अंडे बेचकर की पढ़ाई, BPSC की परीक्षा में हासिल हुई सफलता अब बनेंगे प्रखंड पदाधिकारी

blank 5 9

बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) की 64वीं सिविल सेवा संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा में परचम लहराने वाले बीरेंद्र की कहानी काफी प्रेरणादायक है. अंडे की छोटे से दुकान से ऑफिसर बनने तक का सफर किसी सपने से कम नहीं है. सूबे के औरंगाबाद जिले के कर्मा रोड स्थित छोटे से गुमटी में बैठकर अंडे बेचने वाले बीरेंद्र के लिए बीपीएससी क्रैक करना एक सपना था, जिसे उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत से साकार किया.

Also read: बिहार के इन जिलों में  चल रही ठंडी हवा, होगी मूसलाधार बारिश

पिता की मौत के बाद छोड़ दिया गांव

Also read: बिहार में मौसम हुआ कूल-कूल, पटना व इन जिलों में होगी बारिश

औरंगाबाद जिले के बारुण प्रखंड के एक छोटे से गांव हाथीखाप के रहने वाले बीरेंद्र के पिता भिखारी राम पेशे से मोची थे और दूसरे के फटे जूते सिलकर वे अपने तीन बच्चों की परवरिश करते थे. लेकिन साल 2012 में पिता की मौत के बाद तीनों भाइयों पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. मां के साथ सभी ने गांव छोड़कर शहर का रुख किया. घर की जिम्मेवारी बड़े भाई जितेंद्र के कंधे पर आ गई. शहर आकर सबों ने कर्मा रोड के दलित बस्ती में किराए पर दुकान लिया और जीवन की गाड़ी खिंचने लगे.

Also read: बिहार में अगले पांच दिनों तक होगी बारिश, जाने अपने जिले का मौसम

इधर, बीरेंद्र ने पढ़ाई का जुनून नहीं छोड़ा. घर की माली स्थिति बेहद खराब होने की वजह से बीरेंद्र ने अंडे की दुकान खोल ली. इस व्यवसाय के साथ-साथ बीरेंद्र ने पढ़ाई भी जारी रखी. जब ग्राहक नहीं रहते, तो वे दुकान पर ही पढ़ाई करता था. धीरे-धीरे घर की आर्थिक स्थिति कुछ ठीक हुई तो बड़े भाई ने बैग का एक छोटा सा दुकान खोला, जहां चमड़े के बैग समेत अन्य सामग्रियों की बिक्री होने लगी.

Also read: बिहार में अचानक बदला मौसम का मिजाज़, इन 19 जिलों में होगी मूसलाधार बारिश

दुकान छोड़कर पढ़ाई पर लगाया ध्यान

आर्थिक स्थिति ठीक होने के बाद बड़े भाई जितेंद्र ने अपने छोटे भाई को दुकान छोड़कर सारा ध्यान पढ़ाई पर केंद्रित करने के लिए कहा. दोनों भाईयों ने बाबा भीमराव अंबेडकर की जीवनी को अपने हृदय में आत्मसात करते हुए हर कठिन और विषम परिस्थिति का सामना करने की ठानी. बीरेंद्र ने दुकान बंद कर बगल के ही एक प्रतियोगी राजीव कुमार जिन्होंने अपनी पढ़ाई दिल्ली से पूरी की थी, उनका साथ लिया और उनके मार्गदर्शन में अपनी पढ़ाई शुरू की.

Exit mobile version