बिहार लोक सेवा आयोग की ओर से आयोजित होने वाली संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा राज्य में नौकरियों के लिए होने वाली सबसे उच्च स्तर की परीक्षा है। इसमें सफल होने वाले प्रतिभागियों की सक्सेस स्टोरी नौकरी की चाहत रखने वाला हर युवा जानना चाहता है। बीपीएससी 64वीं संयुक्त परीक्षा का रिजल्ट अब से थोड़ी देर पहले जारी किया गया है, जिसमें ओम प्रकाश गुप्ता टापर बने, जबकि सुपौल निवासी यूपीएससी सफल विद्या सागर को दूसरा स्थान मिला। टॉप टेन में कोई महिला अभ्यर्थी स्थान नहीं बना सकी। प्रस्तुत है कुछ टापर से बातचीत के अंश
बीपीएससी में द्वितीय रैंक लाने वाले विद्या सागर 2020 में यूपीएससी में सफल हुए थे। उन्हें इंडियन रेलवे सर्विस कैडर आवंटित हुआ। फिलहाल अवकाश में दिल्ली में है। विद्यासागर ने बताया कि वह हर दिन आठ घंटे पढ़ाई करते हैं। उनके पिता हरिनंदन यादव सुपौल में शिक्षक हैं, मां पावित्री देवी गृहिणी है। कहा कि बचपन से ही लोगों की सेवा करने का सपना है। यह साकार हो रहा है।
विशाल ने की जाब के साथ नियमित सात-आठ घंटे पढ़ाई
मुंगेर के धरहरा निवासी विशाल को बीपीएससी में चौथी रैंक मिली है। विशाल बताते हैं कि वह फिलहाल डिफेंस में कोलकाता में कार्यरत हैं। नौकरी के साथ हर दिन सात-आठ घंटे नियमित पढ़ाई करते रहे। हमेशा देश सेवा करने का लक्ष्य रहा है। वह फिलहाल डिफेंस में कोलकाता के दमदम में कार्यरत हैं। अब वह बिहार में रहकर राज्य के लोगों की सेवा की तैयारी कर रहे हैं।
दरभंगा निवासी अनुराग आनंद को मिला तीसरा स्थान
दरभंगा के लक्ष्मी सागर निवासी अनुराग आनंद को तीसरा स्थान प्राप्त हुआ। अनुराग ने बताया कि2016 में आइआइटी दिल्ली से सिविल इंजीनियङ्क्षरग कर सिविल सेवा की तैयारी कर रहे हैं। यूपीएससी मेंस भी पास किया है। बीपीएससी में पहली बार में ही सफल हुए हैं। पिता विजय कुमार झा एसबीआइ में पीओ हैं, जबकि मां इंदु झा गृहिणी हैं। पढ़ाई में कभी भी समय का ख्याल नहीं रखा। एक बार पढऩे के लिए बैठा तो घंटों पढ़ता रहा।
बचपन से ही शशांक की जनसेवा की मंशा
झारखंड के गिरीडीह निवासी शशांक वर्णवाल को बचपन से ही पब्लिक सर्विस कमीशन के जरिए लोगों की सेवा के लिए कार्य करने की लालसा रही है। इसके लिए उन्होंने बीपीएससी व यूपीएससी के लिए तैयारी शुरू की। पहली बार में बीपीएससी में सफलता प्राप्त हुई। उन्होंने बताया कि उनके पिता दिगंबर मोदी बिजनेसमैन हैं जबकि मां मीना देवी गृहिणी हैं। उन्हें बीपीएससी में पांचवीं रैंक प्राप्त हुई है।
पिता चलाते थे स्कूल का ऑटो, बेटा बनेगा अधिकारी
राजधानी के कंकड़बाग में अशोक नगर निवासी अजीत की सफलता की कहानी काफी अलग है। वह मध्यम परिवार से है। उनके पिता वीरेंद्र प्रसाद डीएवी ट्रांसपोर्ट नगर के लिए ऑटो चलाते थे। हमेशा पापा को परेशानी में देखा। बचपन से ही अधिकारी बनने का लक्ष्य रखा। पढ़ाई जारी रखी। दुबई में आयल एंड गैस कंस्ट्रशन कंपनी में 2012 में नौकरी करने लगे तब पिता ने ऑटो चलाना छोड़ दिया। 2017 तक दुबई में रहे। लौटकर तैयारी कर रहे हैं। हर दिन आठ-10 घंटे पढ़ाई से छठी रैंक मिली।