भुजिया की बात करें, तो जुबान ‘बीकानेरी भुजिया’ का स्वाद याद करने लगती है। मोठ की दाल, बेसन और मसालों से बना यह व्यंजन आज के समय में राजस्थान के बीकानेर की पहचान है। यह ऐसा स्नैक है, जिसे सुबह, दोपहर या शाम, आप जब चाहें खा सकते हैं।
बताया जाता है कि साल 1877 में बीकानेर के राजा डूंगर सिंह ने पहली बार अपनी शाही रसोई में भुजिया बनवाई थी। पहले यह शाही राजघरानों की शान बनी और फिर धीरे-धीरे यह बीकानेर के आम लोगों का कारोबार और जुबान का स्वाद हो गई।
शायद इसीलिए, कवि अशोक वाजपेयी ने कहा है, “बीकानेर ऐसा शहर हैं, जहां आधी जनसंख्या भुजिया बनाने में व्यस्त है और आधी भुजिया खाने में।” लेकिन अब भुजिया का स्वाद सिर्फ बीकानेर या राजस्थान तक सीमित नहीं है, बल्कि देश के दूसरे राज्यों और विदेशों तक भी पहुंच चुका है। भुजिया को बीकानेर से निकालकर देश के दूसरे कोनों तक पहुंचाने की शुरुआत ‘हल्दीराम भुजियावाले’ ने की। देश-दुनिया में मशहूर हल्दीराम की एक छोटी-सी दुकान किसी जमाने में शहर के भुजिया बाजार में हुआ करती थी।
हल्दीराम के बाद, उनके ही वंशजों की ब्रांड, ‘बीकाजी फूड्स इंटरनेशनल‘ ने भी बीकानेरी भुजिया को दुनियाभर में पहचान दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। कहते हैं कि 2010 में बीकानेरी भुजिया को ‘GI Tag’ दिलाने में बीकाजी ब्रांड का भी योगदान था। ‘एथनिक स्नैक इंडस्ट्री’ में बीकानेरी भुजिया बनानेवाली यह सबसे बड़ी ब्रांड है, जहां हर दिन लगभग 60 मीट्रिक टन बीकानेरी भुजिया बनती है।
‘द मैन बिहाइंड इट’
250 से ज्यादा खाद्य उत्पाद बनानेवाली Bikaji Company के शुरू होने की कहानी, लगभग 34 साल पुरानी है। Bikaji Company की नींव साल 1987 में शिवरतन अग्रवाल (Shri Shivratan Agarwal) ने रखी थी। कंपनी के फाउंडर और डायरेक्टर, Shri Shivratan Agarwal, स्वर्गीय गंगाभीषन ‘हल्दीराम’ भुजियावाले के पोते हैं, जिन्होंने आजादी से कई साल पहले बीकानेर में अपनी एक छोटी-सी दुकान से कारोबार शुरू किया था। समय के साथ, हल्दीराम का नाम पूरे देश में फ़ैल गया। बीकाजी के चेयरमैन और संस्थापक, Shri Shivratan Agarwal कहते हैं, “मैं दादाजी के काफी करीब था। उनसे मैंने भुजिया बनाना भी सीखा। साथ ही, उनके जैसा उद्देश्य भी पाया कि हम अच्छी गुणवत्ता की भुजिया बनाएं, जो ग्राहकों की कसौटी पर खरी उतरे।”
लेकिन फिर जैसे-जैसे कारोबार बटा, तो उनके दूसरे भाई दूसरे शहरों में बस गए और हल्दीराम ब्रांड को आगे बढ़ाने लगे। लेकिन फन्ना बाबू (Fanna Babu) के नाम से मशहूर, Shri Shivratan Agarwal बीकानेर से कहीं बाहर नहीं जाना चाहते थे। क्योंकि, उनका मानना है कि भुजिया का असली बीकानेरी स्वाद बीकानेर ही बना सकता है।
इसलिए अपने शहर और बीकानेरी भुजिया को एक अलग पहचान देने के लिए, साल 1987 में Shri Shivratan Agarwal ने अपनी एक नयी शुरुआत की और साल 1993 में ब्रांड को ‘बीकाजी’ नाम दिया।
शहर के इतिहास से जुड़ा है ब्रांड का नाम
Bikaji Company का नाम बीकानेर शहर के संस्थापक राव बीकाजी के नाम पर रखा गया है। कहते हैं कि बीकाजी अपने पिता की दूसरी संतान थे और उन्हें बीकानेर विरासत में नहीं मिला, बल्कि उन्होंने खुद अपना राज्य बसाया।
कुछ ऐसी ही कहानी, Shri Shivratan Agarwal की भी रही। क्योंकि, हल्दीराम पहले ही भुजिया उत्पादन में अपना नाम कमा चुका था और ऐसे में, शिवरतन के लिए अपनी एक अलग पहचान बना पाना बहुत मुश्किल था। लेकिन उन्होंने अकेले अपना काम शुरू किया और दिन-रात मेहनत की।
देसी स्वाद, मॉडर्न अंदाज
Shri Shivratan Agarwal ने जब अपनी खुद की कंपनी शुरू की, तो उनके लिए चुनौतियां बहुत सारी थी। इसलिए उन्हें कुछ अलग करना था, ताकि वह देश-दुनिया तक बीकानेर का असली स्वाद पहुंचा सके। इसलिए उन्होंने भुजिया के उत्पादन के लिए मशीनरी पर ध्यान दिया।