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बिना कठिन परिश्रम के सफलता नहीं मिलती है। हर इंसान जब तक अपनी पूरी लगन से मेहनत नहीं करता, तब तक कामयाबी उससे दूर रहतीं है। बच्चे कितने भी बड़े हो जायें लेकिन माता-पिता के सामने छोटे ही होते है। माता-पिता हमेशा अपने बच्चों को सफल होते हुए देखना चाहते हैं और इसके लिए अपने बच्चों की सारी ज़रूरतें पूरी करते हैं।

आइपीएस नवनीत सिकेरा (Navneet Sikera) उत्तरप्रदेश के मेरठ में आईजी के पद पर हैं। नवनीत सिकेरा ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के जरिए बताया कि कुछ दशक पहलें मेरा IIT का एंट्रेंस एग्ज़ाम था। उस समय उनके पिता ने दूसरे से साइकिल उधार मांगी और नवनीत को पीछे बैठा ख़ुद साइकिल चलाकर उन्हें सेंटर तक ले गये थे। सेंटर पर बहुत सारे छात्र अपने चार चक्के वाली गाड़ी से आये थे। उन छात्रों के साथ उनके पैरंट्स भी आये थे। सबके पैरंट्स अपने अपने बच्चे को लास्ट मिनट की तैयारी करवाने में जुटे हुए थे।

नवनीत आगे बताते हैं कि सभी कैंडिडेटस नयी-नयी किताबें पढ़ रहे थे जो उन्होनें कभी नहीं देखी थी। उन छात्रों की नयी-नयी किताबें देखकर नवनीत के मन में उन किताबों को पढ़ने की लालसा जगने लगी। उनके मन में यह सोचकर चिंता सी होने लगी कि जो ऐसी ऐसी किताबें पढ़ रहें हैं जिनको मैने देखा तक नहीं हैं तो उनके सामने मैं कैसे टिक पाऊंगा? यह बात उनके पिता को समझ में आ गयी।

उनके पिता उनको अलग कुछ दूरी पर ले गये और समझायें कि किसी भी इमारत की मजबूती उसके नींव पर निर्भर करती है ना कि उस पर लटके हुयें झाड़ फानुस पर। यह बात सुनकर नवनीत का आत्मविश्वास बढ़ गया। नवनीत ने पूरे विश्वास के साथ परीक्षा दिया और परीक्षा का नतीजा भी बहुत अच्छा आया। जिस सेंटर पर एग्ज़ाम हुआ था वहां से सिर्फ दो ही छात्र उतीर्ण हुए थे, जिनमें से एक नवनीत सिकेरा थे।

नवनीत ने अपने पोस्ट में अपने पिताजी की फोटो शेयर की और पोस्ट में लिखा “आज मेरे पिताजी नहीं हैं लेकिन उनकी कड़ी मेहनत का फल और उनके द्वारा सिखाई गयी सीख हर समय मेरे साथ हैं और हर पल यही लगता है कि पिताजी एक बार और मिल जाये तो उन्हें जी भर के गले लगा लूं।”

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