बिहार पुलिस मुख्यालय ने सात साल से कम सजा के मामले में गिरफ्तारी को लेकर विस्तृत गाइडलाइन जारी की है. डीजीपी संजीव कुमार सिंघल के जारी आदेश में कहा गया है कि साधारण जुर्म या 7 साल से कम सजा वाले मामलों में पुलिस अब सीधे गिरफ्तारी नहीं करेगी. सात साल से कम सजा के मामले में गिरफ्तारी करने और नहीं करने पर परिस्थितियों के अनुसार कुछ प्रावधानों का पालन करना होगा. ऐसे मामलों में अब पुलिस सात साल से कम सजा वाले केस में सीधे गिरफ्तारी के बजाय पहले नोटिस भी दे सकती है. इसके बाद आरोपित जमानत लेने की कार्रवाई करेगा.
डीजीपी एसके सिंघल के निर्देश के मुताबिक दहेज से जुड़े केस और सात वर्ष से कम सजा वाले मामले में गिरफ्तारी के बजाए पहले सीआरपीसी की धारा-41 के प्रावधानों के तहत गिरफ्तारी की आवश्यकता के विषय में पुलिस अधिकारी को संतुष्ट होना होगा. साथ ही कोर्ट के सामने गिरफ्तार आरोपित की पेशी के समय गिरफ्तारी का कारण व सामग्री समर्पित करना होगा.
डीजीपी ने जारी कि दिशा-निर्देश
DGP बिहार एसके सिंघल ने सात साल तक के सजा वाले मामलों के अभियुक्तों गिरफ्तारी को लेकर विस्तृत गाइडलाइन जारी किया है. डीजीपी ने इस संबंध में सभी जिलों के पुलिस कप्तान सभी ज़ोन के DIG और सभी प्रक्षेत्र के IG को एक पत्र भेजा है. अपने इस आदेश पत्र में DGP ने कहा है कि गिरफ्तारी के समय दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41B, 41C, 41D, 45, 46, 50, 60 और 60 A का सम्यक अनुपालन अतिआवश्यक है. सभी पुलिस अधिकारी उक्त प्रावधानों का अनुपालन सुनिश्चित कराएं.सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला
DGP ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि पुलिस द्वारा बिना वारंट गिरफ्तार करने की शक्ति संबंधी प्रावधान धारा 41 दंड प्रक्रिया संहिता में अधिनियम 2008 एवं दंड प्रक्रिया संहिता अधिनियम 2010 के माध्यम से संशोधन हुए थे जो 1 और 2 नवंबर 2010 से प्रभावी हुए हैं. सर्वोच्च न्यायालय ने 7 मई 2021 को पारित न्यायादेश में कुछ आदेश दिए हैं जो इस प्रकार से हैं.
अरेस्टिंग में चेक लिस्ट का प्रयोग
धारा 498 A IPC तथा 7 वर्ष से कम कारावास के मामले में अभियुक्तों को सीधे गिरफ्तार करने के बजाय पहले धारा 41 दंड प्रक्रिया संहिता के प्रावधानों के तहत गिरफ्तारी की आवश्यकता के संबंध में पुलिस अधिकारी संतुष्ट हो लेंगे. सभी पुलिस अधिकारी धारा 41 के प्रावधानों के अनुपालन में चेक लिस्ट प्रयोग करते हुए संतुष्ट होकर ही अभियुक्त की गिरफ्तारी करेंगे.
एसपी कर सकते हैं यह काम
तीसरा प्रावधान है कि धारा 41 के विभिन्न उक्त उपधारा के प्रावधानों के तहत पुलिस द्वारा अगर किसी अभियुक्त की गिरफ्तारी आवश्यक नहीं समझी जाए तो प्राथमिकी अंकित होने के 2 सप्ताह के भीतर संबंधित न्यायालय को ऐसे अभियुक्तों का विवरण भेज दें. दो सप्ताह की अवधि पुलिस अधीक्षक द्वारा बढ़ाई भी जा सकती है.
साभार – News 18