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महज़ 9 वर्ष की उम्र में किसान की बेटी ने 3KM की रेस को 12.50 मिनट में पार कर गोल्ड मेडल जीत कीर्तिमान स्थापित किया

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पूजा बिश्नोई तब केवल 3 साल की थी जब वह कुछ लड़कों के साथ दौड़ने की रेस में हिस्सा ली और हार का सामना करना पड़ा! छोटी उम्र में ही कुछ लड़कों को दौड़ते हुए देख जब पूजा बिश्नोई ने अपने मामा से दौड़ने की ज़िद की तो उन्होंने कुछ लड़कों के साथ खेल-खेल में दौड़ने का रेस अरेंज किया जिसमें इन्हें हार का सामना करना पड़ा।

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भारत में अभी भी ऐसे अनेकों क्षेत्र हैं जहां लड़कियों को पूर्ण आजादी से हिस्सा लेने का सौभाग्य प्राप्त नहीं हो पाता है, खेल उसमें से ही एक है।

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महज़ 3 साल की उम्र में पूजा को जब उनके मामा ने दौड़ते हुए देखा दो उन्होंने सोचा कि खेल की दुनिया में यह लड़की कुछ बेहतर कर सकती है! श्रवण एक एथलीट थे और वह भारत सरकार के एथलीट विभाग से सम्बद्ध रखते थे, लेकिन शरीर में चोट लगने के कारण उन्हें खेल की दुनिया छोड़ने पड़ी।

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कुछ महीनों बाद श्रवण ने एक बार फिर पूजा को कुछ लड़कों के साथ एक रेस में भाग लेने का मौका दिया जिसमें वह अपने प्रतिद्वंदी को लगभग 20 मीटर से हरा पाई।

यह कहानी एक ऐसी लड़की की है जिसने महज 6 साल की उम्र में ऐसे ऐसे रिकॉर्ड बनाएं हैं जो दूसरों के लिए प्रेरणादाई बन गया। सन 2017 में मात्र 6 वर्ष की उम्र में पूजा ने जोधपुर मैराथन में हिस्सा लिया और 10 किलोमीटर की दूरी को मात्र 48 मिनट में पार कर डाला, छोटी उम्र के साथ ही पूजा का बॉडी स्ट्रक्चर एक एथलीट जैसा है और उनके उसके सिक्स पैक भी हैं।

श्रवण बताते हैं कि सन 2019 में पूजा की ट्रेनिंग के वीडियोज़ देखने के बाद विराट कोहली फाउंडेशन ने मदद का हाथ बढ़ाया। विराट कोहली फाउंडेशन के मैनेजर तुषार नायर के बयान के हिसाब से जब श्रवन उनके पास पहुंचे और पूजा का बायोडाटा दिखाए तब उन्हें लगा कि यह लड़की भविष्य में काफी कुछ बेहतर कर सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि पूजा के अचीवमेंट्स को देखते हुए हमें विश्वास हो गया कि भविष्य में या लड़की गोल्ड मेडल लाने के लायक है।

नवंबर 2019 में 3 किलोमीटर की रेस को पूजा ने मात्र 12:50 मिनट में तय किया और अंडर 14 में उसने एक रिकॉर्ड स्थापित कर लिया! पूजा को 3000 मीटर, 1500 मीटर और 800 मीटर की रेस में गोल्ड मेडल मिल चुके हैं।

पूजा के मामा श्रवण आज उनके ऑफिशल कोच भी हैं, वह बताते हैं कि पूजा का जन्म जोधपुर के गुडा विश्नोइयां गांव में हुआ था और पूजा का पालन पोषण उनके ननिहाल में ही हुआ! छोटी बच्ची के खर्च को पूरा करने के लिए श्रवण एक दुकान पर बतौर मैनेजर का काम करते हैं।

इस परिस्थिति को और विस्तार से बताते समय श्रवण ने बताया कि पूजा के माता-पिता एक ट्रेडिशनल फैमिली से हैं और खेती करते हैं। यह परिस्थिति छोटी बच्ची के लिए कहीं ना कहीं बाधक थी इसलिए मुझे अधिक मेहनत करनी पड़ी।

हर रोज 3:00 बजे सुबह उठने के बाद पूजा अपना वर्कआउट करती हैं और लगभग 8 बजे तक एथलीट की तैयारी से निपटने के बाद अपने स्कूल और आगे की पढ़ाई में जुड़ जाती हैं। पूजा के अनुसार वह 2024 में होने वाले ओलंपिक की तैयारी कर रही हैं और देश के लिए गोल्ड लाना चाहती हैं।

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