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साल्वी, जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के G.N.M नर्सिंग इंस्टीट्यूट भागलपुर में जॉब करती है। वह वहां वार्डन है। साल्वी को 18 अप्रैल को महसूस हुआ कि फीवर आ गया है। उनके पति कुंदन कुमार कोलकाता की एक कंपनी में असिस्टेंट मैनेजर हैं। इन्हें भी दो दिन बाद फीवर महसूस होने लगा। साल्वी का मायके पटना के इंद्रपुरी में है। दोनों अपनी दो साल की बेटी रिद्धि के साथ पटना आ गए।

साल्वी और कुंदन ने पटना में सरकारी स्तर पर 20 अप्रैल को कोविड RT-PCR जांच कराई। कुछ दिनों के बाद आई रिपोर्ट में निगेटिव बताया गया। लेकिन दोनों ने एक दिन के बाद प्राइवेट में जांच करायी तो रिपोर्ट पॉजिटिव आई। ये रिपोर्ट जब तक आई साल्वी ने अपना ब्लड टेस्ट भी कराया और उसमें टायफायड निकला। उन्होंने डॉक्टर से सलाह लेते हुए टाइफायड का इलाज शुरू कर दिया।

फ्रंटलाइन वर्कर हैं पर बेटी की वजह से वैक्सीन नहीं ली थी
साल्वी फ्रंटलाइन वर्कर है। लेकिन उन्होंने कोरोना की वैक्सीन इसलिए नहीं ली थी कि वह बेटी को ब्रेस्ट फीडिंग करा रही थी। हसबैंड ने नहीं ली थी क्योंकि उस समय तक इस उम्र के अन्य लोगों को वैक्सीन नहीं दी जा रही थी। साल्वी का परिवार कई तरह से फंसा महसूस करने लगा। लेकिन साल्वी की मां अंजू रोमा और पिता विकास चंद्र ने पटना में काफी मदद की। दोनों कोविड गाइडलाइन का पालन करते हुए साथ-साथ रहे और इलाज की सारी व्यवस्था घर पर ही डॉक्टरों से पूछ कर कराई। PMCH पटना के डॉ. वीरेन्द्र कुमार ने काफी मदद की।

साल्वी ने मां अंजू रोमा को पेट में सूई देने की ट्रेनिंग ली
सबसे अजीब स्थिति उस समय शुरू हुई जब बाकी दवाओं ने असर नहीं किया और साल्वी को फेवी फ्लू की डोज दी गई। पहले दिन तो 8 टेबलेट सुबह और 8 टेबलेट शाम और फिर डोज बदला गया। इस स्थिति में भी साल्वी बेटी रिद्धि को ब्रेस्ट फीडिंग कराती रही। डि-डाइमर टेस्ट में पता चला कि साल्वी का लेवल 400 से कम रहने की बजाय 13 हजार हो गया है और हसबैंड का 1200। दोनों को पेट में सूई लेनी पड़ी। साल्वी तो हसबैंड को सूई दे देती थी लेकिन खुद से खुद को सूई लेने में दिक्कत हुई तो उन्होंने अपनी मां अंजू रोमा को इसकी ट्रेनिंग दी।

पहले तो मां को काफी दया आई। लेकिन जब मां अंजू ने समझा कि बेटी की जान इसी कष्ट से बचायी जा सकती है तो साल्वी को सूई देने लगी। साल्वी बताती है कि मां- पिता ने हमारा मनोबल इतना बढ़ाया कि ऑक्सीजन की जरूरत होने के बावजूद हमलोगों ने खुद को ठीक कर लिया। मां-पिता दोनों ने वैक्सीन ले ली थी। साल्वी की मां अंजू रोमा कहती हैं कि सभी को नन्ही रिद्धि की चिंता थी और उसका चेहरा देखकर ही सभी धीरे-धीरे ठीक हो गए। इस बीच ऋद्धि मां की छाती से चिपकी रहती थी। यह मां बेटी के प्यार की जीत की कहानी है।

साभार – dainik bhaskar

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